July 17, 2018
बाहर से आदर मिले, बाहर से प्यार मिले अधिकतम जीवन इसी में निकल जाता है !
क्या करें ?
संसार की सोच हमें नहीं बदलनी ! किसी से शक्ति का युद्ध भी नहीं करना ! कि मेरी चले ! बदलना स्वयं को ही है !
किसी ने कहा कि हम बदल गए पर दुनिया तो वही रही ।
स्वयं को बदलने का क्या मतलब ?
एक महिला उसकी दो पुत्रियाँ । ससुराल वाले आदर नहीं देते क्योंकि पुत्री पैदा की ! चार भ्रूण हत्या । लड़कियाँ थी । अब की बार पीर फकीर माता की पूजा का इलाज किया पर फिर से पुत्री ! कहते हैं भगवान क्यों इतना कठोर । सारी दुनिया का पुत्र , केवल इनका ही नहीं । पुत्र केवल इसलिए ताकि परिवार में थोडी इज़्ज़त बन जाए ।
ऐसे कठिन प्रारब्ध बहुतों के होते हैं । यहां सोच बदलने की बात शायद नहीं की जा सकती क्योंकि उनका वातावरण इतना कसा हुआ होता है कि कुछ और सूझता ही नहीं ।
यहां राम नाम व गुरूजनों की चरण शरण ही सब काया पलट कर सकती है । राम नाम का पावन मंत्र ही त्रासित मन व देह को शान्ति पहुँचा सकता है । और नाम की ही शक्ति कुछ मन की बंद नाड़ियों को खोल सकती है, बूंद बूंद करके !
जीवन आसान नहीं है । यदि आसान बना तो केवल राम कृपा के कारण ! इच्छाओं , लालसाओं में ग्रस्त, दूसरों की नज़रों के लिए तरसना, दो मीठे प्यार के बोल के लिए तरसना, अपनी शक्ति है ही नहीं ऐसा मानना, पूर्ण रूप से दूसरे के अधीन होना, कसे हुए प्रारब्ध हैं ।
किन्तु इन परिस्थितियों में यदि यह सोच आ जाए कि मुझे बदलना है , तो वह भी अनन्त कृपा से कम नहीं ! असल में किसी भी परिस्थिति में यह सोच आनी कि मुझे बदलना है , यह अनन्त कृपा है !
ऐसी अनन्त महिलाओं के लिए प्रार्थना जो बदलना नहीं चाहती या सोच ही नहीं सकती कि बदला भी जा सकता है या फिर क्या बदलें ?
पल भर के लिए यदि सोचें कि यहां सोच बदल गई ..तो कैसा दृश्य देख सकते हैं हम ?
यही कि वह महिला राम आश्रित है । राम नाम के अनन्त नाम से अपने में खुश व संतुष्ट है । अपनी भीतर की ऊर्जा से अपनी बच्चियों का लालन पालन कर रही है और बाकि समय नाम साधना में अर्पण कर रही है । पति का अनादर सास ससुर का अनादर छूता ही नहीं । झुलसने की बजाए राम नाम से खिली रहती है ।
यह सम्भव है सोच बदलने से । राम नाम से संबंध स्थापित करने से । जो मिला है प्रारब्ध से उसे स्वीकार कर राम नाम की धुनि रमाने से । दूसरो से चाहत की बजाए अपने राम नाम से प्रेम करना ! इच्छाओं को अर्पण कर प्रार्थनाओं में लीन हो जाना। कितनी सुंदर कल्पना है ।
ऐसी कल्पना की प्रार्थना …… कि सब राममय हो जीवन व्यतीत करें ! या फिर प्यारे राम स्वयं ही वहां वहां कृपा बरसा दें जहां जहां वे चाहें …
कसे हुए प्रारब्धों को अनन्त राम नाम ढीला कर सकते है !
मंगलमय प्रार्थना