मेरी व आपकी आत्मा ऊर्जा का स्रोत

Aug 30, 2018

आज का आत्मिक चिन्तन

बहुत ही अनूठे ढंग से प्रभु यह आत्मिक चिन्तन करवा रहे हैं । पूज्य गुरूदेव ने कहा है कि जिन लोगों में संशय की प्रवृति होती है उन्हें आत्मिक भावनाओं का मनन व चिन्तन करना चाहिए।

यह पंक्ति आज सुनने को मिली, वह भी किसी मीटिंग में कि जिसमें जितना अधिक विश्वास होगा उसमें उतना तेज़ी से रूपांतरण आता है ! बात जैसे कि टिक गई हो !

यह विश्वास कि मेरे भीतर जो मैं हूँ वह अनन्त ऊर्जा का स्रोत है, वह बहुत कुछ करने में सक्ष्म है व उस ऊर्जा को किसी भी सकारात्मक कार्य में लगा सकता है ।

हम अपने मन के विचारों से हताश हो जाते हैं, परिवार के वातावरण से मायूस हो जाते हैं, काम न बनने के कारण उदास रहते हैं! किन्तु सदि इस पावन ऊर्जा के यदि सम्पर्क में रहें तो हर पल तरोताज़ा आनन्दमय व मुस्कुराता हुआ निकल सकता है । इसी ऊर्जा की शक्ति से सभी पाप ताप नष्ट हो जाते हैं,ऐसा संतगण कहते हैं।

बात ही उस ऊर्जा से बार बार संयुक्त होने की ! बार बार उस ऊर्जामें स्नान करने की ! और एक दिन उसी में विलीन हो जाने की ….. कल्पना !

तेरे बल सम्मुख कभी , खडा न होवे पाप ।

तेरी सुशक्ति ही हने, सभी शाप परिताप ।।

( श्री भक्ति प्रकाश जी )

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