कर्ता वह व करनाहार वह

Sept 25, 2018

परमेश्वर की अहेतुकी कृपा

आज एक चिड़िया संगत के लिए दाना चुग कर बैठी तो पड़ोसन आई और बोली इतने वर्षों जो दाना चुग रही हो वह तो सही नहीं है ! पूर्ण मिश्रित नहीं था !

वह चिड़िया चुप हो गई । मन ही मन आया कि सही नहीं हुआ !

तभी उसके प्यारे आए और बोले – बता क्या स्मरण है कि तूने क्या किया ? उसका गला भर आया और बोली कुछ नहीं । एक भी चीज स्मरण नहीं न ही कि कैसे किया व कब किया ! एक क्षण नहीं स्मरण !

तो उसके प्यारे मुस्कुराए ! और वह समझ गई कि जब एक भी क्षण दाने चुगने का स्मरण नहीं तो कर्ता ही नहीं ! सो न उसका श्रेय लिया न ही उसका फल !

ऐसी प्रभु कृपा करते हैं।

जब वे स्वयं कर्ता होते हैं तो कार्य करने वाले को न ही कार्य करने का आभास होता है, चाहे वह लिखित हो या वाचिक हो ! सब पानी के ऊपर लकीर जैसे लगाओ क्षण भर में समाप्त हो जाए वैसा हो जाता है !

सब केवल उनका ! व उन्हीं से ! परम प्यारे प्राण प्यारे !

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