Sept 26, 2018
मित्रगणों के उकसाने पर भी हमारी पापमय नियत को सहारा मिलता है । सावधान रहिए ~ डॉ गौतम चैटर्जी
संगति ! अतिश्य माएने रखती है । जिस तरह के विचार पड़ेंगे, जिस तरह के विचार सुनेंगे, जिस तरह के विचार दृष्टिगोचर करेंगे वैसे ही बनते जाएंगे ।
पूज्य गुरूदेव कहते हैं कि एक हाथ में कोयला लीजिए और दूसरे हाथ में चंदन । अब दोनों फेंक दीजिए । और हाथ पोंछ लीजिए। कितनी बार धोने पर भी कोयले का दाग नहीं जाता मानो कि बुरी संगति छोड़ने पर भी उस संगति के निशान पड़े रहते हैं और चंदन वाले हाथ से ख़ुशबु कितने दिन आती रहती है। मानो सत् संगति का असर अमिट होता है !
मित्रगणों के प्रभाव में आकर गलत कार्य भी कर डालते हैं। पापमय मार्ग पर भी अग्रसर हो जाने की सम्भावना बहुत होती है ।
किन्तु संत की संगति से बड़े बड़े डाकू, क़ैदी इत्यादि सुधर जाते हैं व उनका जीवन रूपान्तरित हो जाता है।
पूज्य गुरूदेव बच्चों को खासकर सावधान करते हैं ।
एक बार एक चित्रकार के मन में आया कि वह एक ऐसे क्रूर इंसान का चित्र बनाए जिसको देखते ही लोग डर जाएंगे । वह इसलिए यह करना चाहता था क्योंकि बहुत वर्ष पूर्व उसने एक बच्चे का चित्र बनाया जिससे संसार भर में उसकी ख्याति हो गई थी । सो ऐसे ख़ौफ़नाक चेहरे की तलाश मेँ वह जेल गया । जेल में क़ैदियों को देखते उसे एक ऐसा क़ैदी दिखा जिसकी उसको तैलाश थी । उसने क़ैदी को अपना परिचय दिया और अपने आने का उद्देश्य बताया । फिर उसने अपने पहले चित्र की लोकप्रियता के बारे में बताया और क़ैदी को उस बच्चे का चित्र दिखाया । चित्र देखते ही क़ैदी के आँखों से अश्रु बहने लगे । चित्रकार डर गया और क्षमा प्रार्थना की कि उसके कारण उसके प्रियजन की शायद याद आ गई । वह क़ैदी बोला नहीं ! यह चित्र मेरा ही है। चित्रकार हैरान हो गया और इस हालात का कारण पूछा। तो क़ैदी बोला – संगति । बुरी संगति के कारण मैं एक के बाद एक पापमय कर्म ही करता गया । रोक ही नहीं पाया ! और यह हालत हो गई !
हम साधक हैं ! साधक गणों में भी भिन्न तरह की प्रवृतियाँ होती हैं सो सावधान रह कर चयन करना बहुत आवश्यक है !
राम नाम की संगति सबसे सर्वोपरि !
जिसका राम प्यारे से संबंध है
उसके भीतर आनन्द ही आनन्द है