हमारे मन के भीतर से भी भीतर चित्त है। परमेश्वर की पहचान वहाँ छिपि हुई है ~ डॉ गौतम चैटर्जी
Sept 28, 2018
परम करुणामयी माँ, परम पूज्य गुरूजन व आदरणीय डॉ गौतम चैटर्जी के चरणधुलि में सर्व समर्पित ।
चित्त शुद्धि , बार बार प्रार्थना करते हैं गुरूदेव । हे परमेश्वर ! हमारी चित्त शुद्धि कीजिए । आग्रह करते हैं गुरूदेव कि अपना चित्त शुद्ध कीजिए ।
उस शुद्धि के उपरान्त ही ज्ञात होता है कि हम तो हैं ही नहीं । वह परम प्यारा वह सर्वस्व ही सब हैं। सर्व करन करावनहार केवल वे ही हैं। न केवल करनकरावन हार बल्कि हर रूप रंग के पीछे केवल वे ही हैं ।
दे दो राम दे दो राम निर्मल बुद्धि दे दो राम ! ऐसी विनती करते हैं गुरूदेव ।
नाम से ही सब सम्भव है । केवल नाम से । संतगण कहते हैं अनन्त खरबों राम नाम से यह सम्भव है। वे प्यारे सब सम्भव स्वयं ही बना देते हैं। कोई बुरा भी करता है, बुरा निकलता ही नहीं दूसरों के लिए । स्वयं ही संसार व संसारिकता से दूर रखते हैं, तो संसार से संसार की तरह जूझना नहीं आता । अपने प्रेम में रखा तो नकारात्मक शक्तियों के लिए भी पीड़ा में प्रेम ही निकलता है, मंगल कामना ही निकलती है। ऐसा सा कुछ कर देते हैं।
चित्त शुद्धि से प्रेम ही प्रवाहित होता है। प्रेम में ही रहते हैं व बहते हैं…. और यही उन देवेधिदेव का स्पर्श होता है, उनका आलिंगन होता है उनका अपनाना होता है !
केवल वह ! केवल राम ।