Sept 30, 2018
आज माँ को छुट्टी थी । पर घर के सब काम पर गए हुए थे । माँ ने सोचा सब गए हैं शान्ति से काम करती हूँ। माँ अपने बच्चे के कमरे में गई, जहाँ सदा बहार बाढ़ आई रहती है ।
सब जगह से कपड़े उठाए व समेटे। बिस्तर के अंदर से कितना कुछ मिला!! बिस्तर के नीचे कितना ख़ज़ाना मिला !
टेबल के ऊपर से टेबल के नीचे से। टेबल के पीछे से !!
दिवार के इस कोने से व उस कोने से। ऊपर से साफ़ सुथरा दिखने वाले कमरे की कितने ही कोनों व खानों से न जाने कितना कुछ मिला !!
अब कमरा देख कर माँ खुश !! पता है कि हर कोना साफ़ है- कुछ पलों के लिए ही सही !!!
बाहर निकलते निकलते पैर में कुछ चुभा !!! कुछ रह गया था नीचे !!!! वह भी साफ़ हो गया !!
साधक की आज की सीख 😇
बच्चे का कमरा गंदा था ! माँ ने उसे छोड नहीं दिया न ही अपने से अलग किया। सब सफाई स्वयं ही कर डाली !! इसी तरह हमारे माँ रूपी गुरूजन अनथक लगे रहते हैं , हमारे हर कोने से सफाई करने के लिए… अपने सत्कर्म न्योछावर करते रहते हैं कि हमारे काम बन सकें, हमारे जीवन की परेशानियाँ दूर हो सकें ताकि हम जान सकें कि असली काम हमारा राम नाम ही है । भक्ति ही जीवन का मुख्य उद्देश्य है।
हमें तो अपने अंदर के दुर्गुण दिखते ही नहीं पर वे न जाने कहाँ कहाँ से सफाई करने में लगे रहते हैं। बार बार सफाई करते हैं, अनथक सफ़ाई करते जाते हैं । जब तक हम खाली न हो जाएँ । प्रभु के प्रकट होने के लायक न बन जाएँ ! अपने घर जाने के लिए सक्ष्म न हो जाएँ !!
श्री श्री चरणों में