जब संसार दोषारोपण करे

Oct 4, 2018

एक साधक जी को एक- दो वर्ष ही लगभग हुए हैं विवाह को। लड़की ने फेरों के समय भी कुछ ऐसा किया कि मुहूर्त के पश्चात विवाह हुआ और विवाह के पश्चात भी पति से संबंध नहीं जोड़ा । साधक जी ने हर तरह का प्रयास किया निभाने हेतु किन्तु पत्नी न मानी । अलग रहते रहे लड़की की पढ़ाई हेतु ।

जब विचोला लेकर आए बातचीत के लिए तो पता चला कि लड़की ने बहुत झूठ बोल रखा है व आपसी बातें भी रिकार्ड कर रखी हैं। लड़की के पिता अब साधक जी के परिवार को धमकी दे रहे हैं।

एक इसी तरह की व्यवसाय में समस्या लेकर आज गिलहरि कार्य पर जा रही थी । साधक जी की तरह उनका भी आमना सामना होना था । वे भी दूसरी गिलहरि की नकारात्मकता देख रही थी । पता न चल रहा था कि कैसी बातचीत करे। वह अपने प्यारे से बोली – बोलो प्यारे आप क्या करते ? आप क्या निर्णय लेते । आप इस तनाव भरी परिस्थिति को कैसे सुलझाते । प्यारे बोले – बता दे यह सब नकारातमनकताएं , दूसरों का भला होगा ! गिलहरि बोली – पर मेरे प्यारे ! आप कहां हमारी नकारात्नककाएं देखते हैं, सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं । तो मैं क्यो देखूँ ? प्यारे आप तो दूसरों में उनके गुणों से उभर कर आते हैं ! सो गिलहरि को राह मिल गई । जब दूसरे उनके दोष वर्णन कर रहे थे वह शान्त अपने प्यारे से आलिंगन कर बैठी रही। और जब उनसे कुछ कहने को कहा गया उन्होंने दूसरे के गुण बखान किए और फिर अपनी बात कही !

आपसी संघर्ष में दूसरे के दोष देख कर दूसरों पर दोषारोपण कर, संघर्ष बढ जाता है। तनाव बढ जाता है और मन अशान्त हो जाता है ! किन्तु यदि संघर्ष में दूसरे को स्मरण करवा दो कि तुम में भई यह गुण हैं तो दूसरे में कहीं कुछ तो छुएगा ही । और वह होती है दिव्यता ।

यदि गुण न बखान कर सकें तो प्रार्थना में दूसरे के लिए जब कृपा याचना करें तो परमेश्वर के दिए गए गुणो का वर्णन कर कृपा याचना कर सकते हैं ।

राम की सृष्टि व दृष्टि मे दोष नहीं ऐसा गुरूजन कहते हैं ।

राम तेरा आसरा गुरूदेव तेरा आसरा

Leave a comment