साधना कैसे करें व उसमें मन कैसे लगे

Oct 15, 2018

आज के प्रश्न

१) मन बहुत इधर उधर घूमता है या परमेश्वर से प्रीति कैसे स्थापित करें

परमेश्वर से संबंध बनाना और उस संबंध को जब हम निभाते हैं तो मन इधर उधर नहीं जाता । परमेश्वर का पावन नाम लेना । बहुत सहायक होता है। माला करना और हर माला के पश्चात धन्यवाद करना कि भगवन माला जपवाई । फिर प्रार्थना करना कि भगवन और जपवा दीजिए। ऐसी युक्तियाँ पूज्य गुरूदेव ने बताई हैं। यदि कोई रिश्ता बना लें उनसे तो दिन भर काम काज करते हुए वह निभाएँ । जैसे भोजन बनाएँ तो ऐसे बनाएँ कि प्रभु के लिए बना रहे हैं। यदि घर की सफ़ाई करें तो मानो प्रभु के लिए कर रहे हैं। सो अपनी दिन भर की हर गति विधि को परमेश्वर के संग जोड़ कर यदि हम करते हैं तो न केवल मन उनमें लगता है बल्कि उनसे प्रीति भी जुड़ती है।

मन कहां जाता है बार बार हम देखें। क्या चाहिए वहाँ से यह देखें। यदि वह इच्छा पूर्ण नहीं हो रही तो प्रभु की इच्छा उसे समझ कर व उनसे प्रार्थना करके कि भगवन शक्ति दीजिए कि यह इच्छा गेर सकें, तो उन्हीं के नाम की स्वयं झड़ी लगा दें। करते जाएँ । हार न माने । लगे रहें ! बूँद बूँद करके जब राम नाम भरना आरम्भ होता है तो मन को उन में रस आने लग जाता है !

२) साधना का समय कैसे नियमित करें ?

सबसे पहले सुबह आँख खुलते हैं प्रभु का धन्यवाद कीजिए कि एक और दिन दिखाया नाम जपने के लिए । जब सब सो रहे हैं तो श्री अमृतवाणी जी का पाठ कर लीजिए या गीता जी का कोई एक दोहा । और फिर जाप । एक माला या दो माला , बड़े प्यार से कीजिए । साथ ही १० मिनट ध्यान कर लें ! प्यारे राम ! प्रेममय राम ! मेरे राम ! कृपामय राम ! ऐसे बुलाइए ! ऐसा गुरूजन कहते हैं । फिर दिन के कार्य करते हुए बार बार उन्हें स्मरण कीजिए । मेरे राम ! प्यारे राम ।

दोपहर में जब विश्राम करें तो फिर एक माला कर लीजिए ! और कर सकें और कर लीजिए ।

साँय समय घर कार्य में व्यस्त होने से पहले फिर जाप कर सकते हैं और साथ ही १० मिनट अपने प्यारे से ध्यानस्थ बातचीत व दूसरों के लिए प्रार्थना ।

सोते समय धन्यवाद कीजिएगा कि भगवन कितनी कृपा बरसाई ।

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