प्रभु से प्रेम

Oct 17, 2016

आज एक आम के फल से लदा हुआ पेड़ प्रभु के द्वार पर गया।

वहाँ प्रभु द्वारपालों के रूप में आ गए और कहा , कहो भाई ! यहाँ कैसे ?

वृद्ध हो?

हाथ जोड़ वह बोला – जी नहीं !

सैनिक हो ?

वह बोला – जी नहीं !

परिवार से पीड़ित हो ?

वह बोला – जी नहीं !

ग़रीब हो?

वह बोला – जी नहीं !

रोगी हो?

वह बोला – जी नहीं !

दिव्यांग हो ?

वह बोला – जी नहीं !

काम नहीं चल रहा ठीक ?

वह बोला – जी नहीं , सब ठीक है ?

प्रभु बोले – क्यों आए हो यहाँ ?

आम के पेड़ की आँखों से झड़ी बहने लग गई ! कहा , मैं तो केवल प्रभु के लिए यहाँ आया हूँ जी ! मुझमें संसारी कोई अभाव नहीं ! सब है ! पर मैं जी केवल अपने प्यारे के लिए आया हूँ ! मेरे सब हैं ! माँ बाबा, भाई बहन, पत्नि, बच्चे, घर – बार ! सब कुछ है जी !

प्रभु बोले – फिर कैसे आना हुआ ?

आम का पेड़ बोला – क्या करूँ जी ! प्रेम हो गया है प्रभु से ! रहा नहीं जाता उसके बिन ! सब होते हुए भी मन नहीं लगता ! उसका प्यार ले आया यहाँ !! सोचा कि प्रभु के ही आम हैं सो यही चढा दूँगा ! मेरा अपना तो कुछ नहीं ! कि कुछ चढा सकूँ । उसी का ही लेकर, देखिए , उसी को चढा दूँगा !! सोचा उन्हीं की ही चीज है तो ले ही लेंगे !! मेरी होती तो कुछ विचार होता कि पता नहीं अच्छी है कि नहीं ! पर यह तो उन्हीं का है ! ले लेंगे न ?

पता नहीं फिर क्या हुआ होगा….कैसे प्रभु ने प्यार किया होगा! कैसे दुलार किया होगा ? कैसे खुद भी खाया होगा और उसे भी खिलाया होगा …. पता नहीं कैसे आम के पेड के नैना छलक रहे होंगे और साथ ही प्रभु के भी ! पता नहीं कैसे प्रभु ने उसकी आँखें पोंछी होंगी ? पता नहीं ! पता नहीं भोग से पहले गले लगाया होगा या बाद में …. पता नहीं …

आज की सीख 🙏

बिन कारण भी हो जाता है प्यार ! प्यार केवल प्यार के लिए भी हो जाता है ! अभाव बहुत बार ज़रिया बनते हैं विश्वास के ! पर बिन कारण भी हो जाता है प्यार !!

श्री श्री चरणों में 🙏

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