जो है देते जाओ

Oct 18, 2018

प्रश्न आया कि मैं तो सदा दूसरों को प्यार देती आई हूँ । किन्तु दूसरे मेरे साथ ऐसा नहीं करते । यहाँ तक कि साधक भी नहीं। मेरे साथ ऐसा क्यों होता है कि प्यार देने पर प्यार नहीं मिलता ।

प्यार, प्यार के लिए किया जाता है । प्यार वह नहीं कि बदले में क्या मिल रहा है !

यह अनन्त कृपा है कि हम दूसरों को प्यार दे सकते हैं। किन्तु दूसरों से वापिस कुछ न चाहना दिव्यता है ।

राम नाम साधना हमें शक्ति देती है कि हम में परमेश्वर जो अपने गुण हैं वे बाँट सकें । किन्तु क्योंकि राम कभी अपेक्षा नहीं करते कि मुझसे वापिस कोई प्यार करे सो हमने भी नहीं करनी ।

जो जैसा करता है वह उसका क्षेत्र है। किन्तु जो हम करते हैं वह हमारा । और यदि हम प्रेम बाँटते हैं तो हमें प्रेम बाँटते जाना है । दूसरों के प्रतिक्रिया से स्वयं को बाँधना नहीं !

इत्र ( perfume) जब फैलती है तो स्वयं को भी पता नहीं लगने देती कि उसने सुगंध फैलाई ! विलीन हो जाती है अपनी खुश्बु फैला कर ! एक दम ! किन्तु उसकी खुश्बु फैली रहती है।

राम नाम जपते जाओ

अपना काम करते जाओ

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