ज्ञान बढ़ाइए

Nov 14, 2016

अपने ज्ञान को सतत उन्नयन करते रहें ~ डॉ गौतम चैटर्जी , positive Mantra

आप साठ वर्ष के हो गए हैं, पर आपका मन है कि मैंने कभी विमान से छलाँग नहीं मारी पैराशूट के साथ , या पैरागलाइडिंग नहीं की .. चलो करती हूँ !!! 😀 भारत में साठ साल की महिला यह नहीं सोच सकती! हाँ पर मोबाइल चलाना सीख रही हैं , फ़ेसबुक पर आना सीख रही हैं 😇 whatsapp चलाना सीख रही हैं 😊!!!

आप सत्तर वर्ष के हैं और बच्चों के नए गेम , फ़ोन पर नए app चलाना सीख रहे हैं !!

आप चालीस वर्ष के हैं नृत्य करना सीख रहे हैं या तैराकी, या २ मील की दौड़ में भाग लिया !!

आप पचास वर्ष के हैं और गाड़ी चलाना सीख रही हैं!!!

स्वयं को उन्नयन करना ! जैसे हैं … उससे बाहर निकल कर स्वयं को उन्नयन करना ! उन्नत करना ।

आप विद्यार्थी हैं , कॉलेज से आ गए, दोस्तों के साथ चौराहे पर गप्पें हाँक रहे हैं .. बैंकों के बाहर लोगों की फ़ार्म भरने में मदद करना ! चाय पिलाना! पानी का बंदोबस्त करना ! यह है स्वयं को उन्नयन करना !

केवल पोथी पढ़ कर आत्मा का , मानसिकता का विकास नहीं होता, दूसरे के लिए एक क़दम बढा कर या स्वयं के लिए कुछ हट कर करने से जो विकास होता है जो भीतर मन प्रफुल्लित होता है उसका कोई मुक़ाबला नहीं । और यदि यह करने की आदत पड़ जाए, तो सदा ही हृदय युवा रहेगा !!

अध्यात्म में यह प्रक्रिया स्वत: ही होती है ! क्योंकि गुरूजन होते हैं करवाने वाले ! नई नई दीक्षा होती है तो जाप का नियम बनता है। कितने वर्ष गुरूजन जाप करवाते हैं। जाप से सेवा भाव जगते हैं, तो सेवा स्वत: आरम्भ हो जाती है, फिर कुछ वर्षों पश्चात सिमरन का पता चलता है, तो प्रेम पूर्वक स्मरण आरम्भ होता है, ध्यान में वृद्धि होती है ! सो आध्यात्मिक यात्रा मेरे करने से लेकर परमेश्वर सब करवा रहे होते हैं, यहाँ तक व इसके कितने पार स्वयं ही चलती जाती है ! सो इसकी बागडोर क्योंकि गुरूजन के हाथ है सो वे स्वाभाविक ढंग से हमसे करवाते हैं !!

सो उम्र कितनी भी हो स्वयं को उन्नयन करने के ढंग निकालने चाहिए, हमें स्वयं को अपने दाएरे से बाहर करके अपना विकास करना चाहिए … इससे बहुत आनन्द मिलता है ! सकारात्मक कार्य और करने हैं और अंत तक अपना विकास हमें करते रहना है, रुकना नहीं … मन के विकास की कोई सीमा नहीं है … अनन्त है वह !!! मन चाहेगा तो शरीर भी तैयार हो जाएगा !!

श्री श्री चरणों में 🙏

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