बाँटिए

Nov 18, 2016

ज्ञान बाँटने का तात्पर्य ही यही है कि दूसरों के जीवन में उत्थान हो सके ~ डॉ गौतम चैटर्जी , Positive Mantra

परम पूज्यश्री महाराजश्री कहते हैं कि Be good, do good! स्वयं भले बनिए और फिर दूसरों का भला करिए!

जो गुरूजन सिखाएँ वे बाँटना सिखाया है ! जो गुरूजन प्यार दें वह बाँटना , जो गुरूजन शिक्षा दें वह बाँटना , ताकि सब उनके प्यार व शिक्षाओं का स्पर्श प्राप्त कर सकें !

एक साधक जब भी साधना से आते तो बाकि साधक उनका इंतज़ार कर रहे होते । कि महाराजश्री ने ज्ञान रूप में क्या प्रसाद भेजा । वे कितनी बार फ़ोन पर पूरा प्रवचन बताते या कई बार लिख कर भी देते !! जिनको गुरूदेव की मुस्कुराहट की इंतज़ार होती तो वे सुनाते कि कब कैसे गुरूदेव मुस्कुरए ! क्यों करते ? कि सभी को पूज्य गुरूदेव का प्रसाद मिले!!

हमारे पूज्यश्री स्वामी जी महाराजश्री पैदल चल कर कितनी कितनी दूर नाम दान देने जाते ! गुरूजनों का तो कहना ही क्या !! मौन में रह कर , तत्व रूप में कैसे कैसे ज्ञान का वितरण करते हैं, आत्मा के ऊपर से पर्तें उतारते हैं ! वे तो सारी साधना, समस्त जीवन व जीवन पर्यन्त भी दूसरों को ही बाँटने में लगा देते हैं !

संतगण यहाँ कहते हैं कि जो आत्मज्ञानी होते हैं उन्हें हरएक राम ही दिखते हैं । वे राम कार्य ही करते हैं। उनके लिए तेरे मेरे का भेद होता ही नहीं है ! हर एक को एक जैसा ही देते हैं !

यहाँ भी हर शब्द उन्हीं से है ! सब कुछ तो हमें उन्हीं से मिलता है ! अपना तो कुछ हो ही नहीं सकता !!

सबका मंगल हो

सबका कल्याण हो

श्री श्री चरणों में 🙏

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