कुछ नया …

आज बहुत दिनों पश्चात मौसम खुला और अपनी प्यारी फुलवारी पर नज़र गई ।

बहुत प्यारी मित्र है मेरी ! और हमारा एक दूसरे के साथ बहुत बहुत प्यार है ! अभी सब ठण्ड के कारण सूखा है पर घास हरि भरि है और कुछ ज़मीन पर लगी रेंगती बेल भी हरि भरि हैं। कोरिन लाल मिर्च सूख गई है पर पौधे से गिरी नहीं ! बहुत प्यार से अपने प्रियजनो को मैं निहारी रही थी और लिखते हुए भी आनन्द विभोर हो रही हूँ । मैं और वे एक हैं। बहुत कुछ सिखाती हैं मुझे व अथाह प्रेम भी उडेंलती है!

आज मन में आया कि अपनी फुलवारी के लिए घर पर ही खाद तैयार करूँ ! तीन महीने में तैयार हो जाएगी ! सोच कर ही मन इतना प्रफुल्लित हो रहा है ! कुछ नया सोच कर ! कुछ नए करने की उमंग ! ऐसी ही फुलवारी अपने विद्यार्थियों से भी तैयार करवाऊँ, ऐसा मन में आ रहा है! क़ुदरत कैसे स्वयं द्वार प्रशस्त करती है हम नहीं जानते ! कहते हैं कि यदि भीतर जुनून हो तो वह जुनून आपको अपने उद्देश्य तक स्वयं ले जाता है।

अपने विद्यार्थियों के लिए कुछ पर्यावरण के विशेषज्ञों को बुलवाया था । तो चर्चा के पश्चात वे बीज भेंट करके गए !!! सो लगा जैसे कि एक और द्वार खुल रहा है कुछ नया करने हेतु ! विद्यार्थी यदि फुलवारी बनाएँगे तो लगता है उन्हें बहुत आनन्द आएगा और अलग ढंग से सीखेंगे ! प्रकृति के स्पर्श पाकर, प्रकृति बहुत कुछ सिखाएगी !! मन में रोमांच हो रहा है सोच कर ! 😍

मेरे सखा कार्य क्षेत्र में भी मेरे संग रहने की तैयारी रह रहे हैं !!! 😃

नई राहों पर हृदय में अथाह प्रेम लिए प्रकृति के साथ एक होकर सकारात्मकता चले विस्तृत करने !!!!

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