प्रकृति में एक्य

Jan 29, 2019

प्रकृति की विभिन्नता में एक्य

कुछ दिनों से फुलवारी की बात चल रही थी तो आज का नजारा देखिए ! श्वेत चादर ने सब को अपने भीतर समेट लिया । सब ढक गया । बूटी, सूखे पत्ते , बिना पत्तों के पौधे, पत्तों समेत पौधे ! सड़क , गाड़ियाँ , घास !! सब कुछ अपने से लिप्त कर दिया । मानो अपनी ही विभिन्नता को एक कर दिया । बर्फ़ का नीचे आना ही मानो सबको एक करना होता हो । हर भेद भाव प्रकृति के हर रंग को केवल एक रंग से ढक दिया । मानो भीतर और बाहर सब एक हो गया हो । प्रकृति की भीतर की पवित्रता पूर्ण रूप से बाहर छलक आई हो !

एक केवल एक !!!

यह दिखाने का मानो संकेत दे रही हो … पहन लो वे चश्मे जहाँ केवल एक ही एक दिखे ! वह परम सत्य दिखे ! वह सत्य जिससे तत्काल शान्ति मिले, सुकून मिले, परमानन्द मिले और जहाँ एक के सिवाय कुछ न रहे ! कोई दूजा नहीं ! केवल एक !

हम सब इस प्राकृतिक एक्य में डुबकी मारें और हर ओर हर चेहरे में केवल एक को ही देखें ! वह परम प्यारा जो सम्पूर्ण है , जिसने हमें भी सम्पूर्ण बनाया है पर हम विभिन्नता में खो गए ! उस एक को भूल गए !

एक केवल एक

राााााााााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽम

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