प्रकृति का अद्भुत प्रकटीकरण

March 11, 2019

प्रकृति जब अनूठे रूप में परमेश्वर की अभिव्यक्ति करती है

हर सुबह भोर पर निकलना । कभी ज्ञानमय सुनहरी तो कभी प्रेममय गुलाबी रंगों से प्रकृति अपने देवाधिदेव को प्रकट करती ।

समय बदला तो आज भोर से भी पहले निकले । और आज जो प्रकृति ने प्रकट किया वह अपने आप में अद्भुत ।

गहरा नीला रंग । हल्का नीला भी । किन्तु विशाल आकाश में वह गहरा नीला स्वयं को सम्पूर्ण रूप से फैलाता हुआ मानो अँगड़ाई लेते हुए परमेश्वर । अजब जा नीला ! जिन्हें देख कर देवाधिदेव शिव महाप्रभु का स्मरण हो आए , नीले राम मानो बिना रूप व आकार के सामने खड़े हों या माँ … कोई भी नाम दे लीजिए !!

बीचों बीच चमकता हुआ श्वेत प्रकाश !!! मानो नीले आकार में तीसरे नेत्र की चमक !!

जैसे भोर आरम्भ हुई तो जिस शीशे से पीछे देखते हैं वहाँ सुनहरे ज्ञान का उदय और आगे गुलाबी प्रेम की अभिव्यक्ति !!!

प्रकृति की इस मनोहर अद्भुत प्रेम का कैसे ऋण चुकाएँ ! जो स्वयं निराकार राम को अद्भुत रूपों में प्रकट करती है और हृदय को अपने से एक कर देती है !!!

आज के प्रेममय दिवस का अद्भुत प्रसाद ।

मेरे सर्वस्व ! प्राण प्यारे ! मेरे रााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽम

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