मेरे गुरूतत्व

March 19, 2019

आज एक चिड़िया अपने पड़ोसी की डाल पर बैठी । पड़ोसी की नन्ही बिटिया जन्मी थी । वह देख रही थी कि कैसे वह माँ अपने बच्चे की देखभाल कर रही है ।

चिड़िया बोली – आपको अपनी बच्ची का सब कुछ पता है !

माँ मुस्कुराई । हाँ ! क्या इसकी इच्छा है, क्या इसे नहीं अच्छा लगता । कब क्या चाहिए , कब क्या देना है , सब !

चिड़िया बोली – जब यह नटखट हो जाती है , या कुछ गड़बड़ कर देती है ?

माँ बोली – सब पता चलता है !! किस बात से परेशान है , कब इसे मेरे प्यार की ज़रूरत है , कब यह उदास होती है और जब गलत करती है तो पड़ जाती है !!

चिड़िया बोली – आप इसे कभी छोड़ते नहीं , जब इसके मन में गलत भाव उठते हैं ?

माँ बोली – नहीं !! कभी नहीं !

चिड़िया बोली – आपका हृदय इसके साथ ही लगा रहता है न , कि मेरे बच्चा ठीक है ! और फिर आप ही तो इसे उड़ान भरने में सहायता करते हैं !

हाँ ! डरते हैं बच्चे कि गिर जाएंगे ! पर मैं होती हूँ संग ! सदा ।

चिड़िया की आँखों से अविरल धारा बहती गई । उसने सुकून की लम्बी सांस ली । उसका भी कोई था , जिसको उसके हर सांस की चिन्ता थी । उसका भी कोई था जिसे उसके हर भाव का पता था । उसे पता था कि वे भी कभी उसे अपनी नज़रों से पल भर के लिए भी ओझल न होने देंगे और सदा सम्भाल लेंगे । चिड़ियाँ ने लम्बी सांस भरी और राम राम कह कर उड़ गई !

श्री श्री चरणों में

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