FAQ: भीड़ में प्रभु की याद कैसे आए

May 7, 2019

धार्मिकता से आध्यात्म की ओर ..

प्रश्न : मुझे ध्यान में प्रभु कृपा से बहुत आनन्द आने लगा है । पर अब मन करता है कि हर समय प्रभु में लगी रहूँ । किन्तु परिवार जन में रहकर ऐसा कर नहीं पा रही । क्या करूँ कि काम काज करते भी मन प्रभु में एक लगा रहे !

यह है आध्यात्म ! कि हर पल हर घड़ी भीतर संयुक्त रहने की चाह बनी रहे । यह दिव्य चाह परमेश्वर की अमूल्य देन है ! अपने प्यारे राम के प्रेम का निमंत्रण ।

एक बार परम पूज्यश्री प्रेम जी महाराजश्री ले किसी ने पूछा कि हर पल मन में राम नाम कैसे लेते रहें ? तो परम पूज्यश्री प्रेमजी महाराजश्री बोले – उसी तरह जिस तरह संसार की बातें चलाते रहते हैं !

सो जब संसार में बैठें या काम काज करें, मन को अपने राम पर ले आएँ ! उनके चिन्तन से उनपर अपना प्रेम व्यक्त करें ! उदाहरण : बच्चे के साथ बैठे हैं । बच्चा खेल रहा है और आप अपने मन को राम पर अपने प्यारे पर ले गए । आँखें खुली हैं किन्तु हृदय व मन राम का चिन्तन कर रहा है ! मन ही मन प्रभु को स्मरण करके मुस्कुरा दें ! कि आज मेरा मन आप पर आ रहा है । मन ही मन कहें धन्यवाद मेरे प्यारे ! बहुत बहुत प्यार !

आप कोई कलाकृति कर रहे हैं । निमग्न हो कर ! तन मन पूरी तरह एक ! और फिर ले आइए अपने प्रीयतम प्यारे को ! और प्रेम से अपनी साँसों से उनका अभिनन्दन कीजिए । रााााओऽऽऽऽम बोल कर सम्बोधित कीजिये ! और मन ही मन मधुर सी धुन गा कर उन्हें रिझाते जाइए !

बार बार अपने मन को अपने प्यारे के माधुर्य रस पर लाइए ! मन ही मन उनसे प्रेम कीजिए । क्या फ़र्क़ पड़ता है कहाँ हैं ? गाड़ी में , मैट्रो में, काम पर या रसोई में ! उनकी याद से बिन कारण मुस्कुराहट आने लग जाएगी ! आँखें नम होने लग जाएँगी और कब एक हो गए इसका आभास भी न होगा !!

सो कीजिए गाढ़ प्रीति अपने प्यारे से !! जितना प्रेम उँडेल सकते हैं , खूब उँडेलिए !

सर्व श्री श्री चरणों में

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