FAQ : सत्संग करना चाहते हैं

May 7, 2019

धार्मिकता से आध्यात्म की ओर ..

प्रश्न : मैंने बहुत पहले नाम लिया । विवाह पश्चात ससुराल में भी सब ने नाम लिया । पर भटकाव आ गया । मंदिरों में जाना आरम्भ कर दिया । नाच गाना आरम्भ हो गया । पर अब फिर पूज्य़श्री स्वामीजी महाराज की साधना की ओर प्रेम बढा है । उनकी साधना करने का मन करता है । हम अपने मोहल्ले में श्री अमृतवाणी सत्संग आरम्भ करना चाहते हैं। पर मुझे डर लगता है। मेरे साथ कोई नहीं है । मुझे मंदिर की सत्संग मंडली क्या कहेगी उसका भी भय है !

आध्यात्म भीतर के स्रोत राम की शक्ति व ऊर्जा से कार्य करने को सिखाता है । वहाँ से सकारात्मक जब शक्ति मिलती है तो सकारात्मक कार्य करने का मन करता है । भीतर से राम स्वयं ऐसी इच्छा डाल रहे होते हैं !

सो सकारात्मक कार्य करने में अधिक विलम्ब नहीं करना चाहिए । दो चार लोग भी ऐसे कार्य आरम्भ कर सकते हैं और गुरूजन स्वयं अन्य आत्माओं को ले आते हैं । हमारा कार्य तो उस दिव्य प्रेरणा पर चलना व सद्गुरू महाराज के अनुशासन को पालन करना मात्र होता है बाकि सब वे स्वयं सम्भालते हैं।

सो साप्ताहिक श्री अमृतवाणी जी का आयोजन कीजिए । सप्ताह का एक दिन चुन लीजिए । नियमित समय । समय पर आरम्भ होकर ठीक समय पर समाप्ति हो । 40 मिनट में श्री अमृतवाणी जी का पाठ सम्पन्न होवे । दस मिनट के लिए जाप की रीति चलाएँ । 5 मिनट श्री भक्ति प्रकाश जी का एक पृष्ठ । 5 मिनट धुन या भजन। पूरा एक घण्टा ।

समय हो जाए तो संकोच न कीजिए कि इशारा करें कि बस अब और नहीं । समय पर समाप्त हो इसके लिए सदा नियम बनाए रखें । समाप्ति पर “ आते भी राम बोलो जाते भी राम बोले “ की धुन गाते जाएँ ताकि बातें न हों ।

जब कभी किसी के घर कोई जन्मदिन हो या अन्य कुछ और वे भोजन रखें तो बड़े विनम्र भाव से कृपया न कह दें । कि राम नाम से बढ़कर कोई उत्सव नहीं !!

सो खूब सत्संग कीजिए ! आनन्द लूटिए और दिखाइए संसार को कि कैसा है हमारे सद्गुरू महाराज का अद्भुत सत्संग !!

अतिश्य शुभ व मंगल कामनाएँ

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