हर कार्य परमेश्वर के लिए

May 27, 2019

धार्मिकता से अध्यात्म की ओर

हर कार्य केवल परमात्मा के लिए । तभी वह कर्मयोग बनता है और तभी उपासना । यदि हम किसी और प्रयोजन से कार्य करते हैं तो वह कर्मयोग नहीं बनता ।

इसलिए, चाहे यात्रा कर रहे हैं, वह परमात्मा के लिए, चाहे conference attend कर रहे हैं, वह परमात्मा के लिए, चाहे बाहर पार्टी पर जा रहे हैं, वह परमात्मा के लिए, चाहे चित्रकारी कर रहे हैं वह परमात्मा के लिए, चाहे सैर कर रहे हैं, वह परमात्मा के लिए। चाहे मेहमानों की देखभाल कर रहे हैं, वह परमात्मा के लिए । चाहे प्रार्थना कर रहे हैं , सब परमात्मा के लिए ।

हर चीज़ ! सो जब हर चीज़ उनके लिए होगी तो हमें वहाँ फल नहीं देखना । फल देखा नहीं कि कर्मयोग वह बना नहीं !! इस बात का हमने बहुत ध्यान देना है और सावधान रहना है ।

पूज्यश्री महाराजश्री कहते हैं कि न पूजा पाठ से न ही केवल कर्न करके जन्म मरण का चक्र कटेगा ! नहीं ! यह कटेगा हर कार्य उसके लिए करके।

पीडा हो रही है, तेरे लिए प्रभु यह सहूँ ! नुक़सान हो गया है, तेरे लिए देवाधिदेव इसे स्वीकारूं । हर कार्य तेरे लिए ! फल की माँग न आनी पाए !! फल की माँग बेड़ियाँ डाल देगी .. कर्न फल दे देगी ! और हम और कर्म फल नहीं चाहते !

सो जहाँ आप ले जाएँ , आपके लिए जाएँ, जो आप करवाएँ आपके लिए सब करें !

इसके पश्चात वे स्वयं लेकर जाएँगे , कि सब वे ही करने कराने वाले !

सर्व श्री श्री चरणों में

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