ध्यान 16

परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से

((482))

ध्यान

भाग-१६

मन ही मन सब झुककर करें प्रणाम परमेश्वर को, और बैठ जाएं सीधे होकर, सब ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं, आंख बंद करें सब, पीठ, रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रखें, थोड़े समय के लिए हिलना जुलना भी नहीं, बंद आंख देखे त्रिकुटी स्थान को, बिंदी वाली जगह को, आज्ञा चक्र को, अपने अपने तीसरे नेत्र को शाबाश ! देखते रहे ।

करें निर्विचार अपने आपको। निर्विचार अर्थात शरीर की, शरीर के रोगों की, शरीर संबंधी समस्याओं की, अपनों की समस्याओं की, व्यापार की, लेनदेन की किसी प्रकार की कोई याद ना आए ।

यहां तक कि अपने आप को भूल जाइएगा कि आप डॉक्टर हैं या इंजीनियर, बहुत बड़े पुलिस के अफसर हैं या चपरासी, ब्राह्मण है या शूद्र, पंजाबी है या दिल्ली के रहने वाले, इन सब बातों को भूलने का समय ध्यान ।

कोई सांसारिक thought कोई भौतिक thought ना आए । ध्यान कब तक जारी रखना है, जब तक यह स्थिति लाभ नहीं हो जाती । यह आशीर्वाद से स्थिति नहीं मिलती, यह अभ्यास से मिलेगी और परमेश्वर से प्रार्थना से मिलेगी । निर्विचार होना शुरू हो जाएंगे, अगली सीढ़ी शुरू होगी निर्विकार होने की । चढ़ीएगा उस सीढ़ी पर । क्रोध के दौरे जब तक बंद नहीं हो जाते, खूब ध्यान में बैठते रहिएगा । राग, द्वेष रुपी लुटेरे जब तक लूटना बंद नहीं कर देते, बैठते रहिएगा ध्यान के लिए ।

कोशिश करना साधक जनों ध्यान की अवधि थोड़ी-थोड़ी बढ़ाते जाओ । बहुत लंबा काम है यह । एक ही दिन में, या कुछ ही दिनों में लाभ नहीं होने वाला । बहुत लंबी यात्रा है । निराश, हताश नहीं होना। थकने पर, हारने पर, approach the Lord.

अपना सीधा संपर्क भीतर विराजमान परमेश्वर से कीजिएगा ।

Seek his help, seek his guidance, seek his grace.

अभी तक अजपा जाप शुरू नहीं हुआ, अभी तक हर वक्त बिना याद दिलाए जाप नहीं हो रहा, ध्यान जारी रखिए। सांसारिक बातें बहुत याद आती है, अधिक याद आती है । सताती है ध्यान के समय।

Please don’t get disappointed. It’s part of the process.

जब तक ऐसी स्थिति नहीं महसूस होती । अरे ! तू कहां दौड़कर जाएगा, मन को बताओ, तू कहां दौड़कर जाएगा । जहां परमात्मा नहीं है, जब तक ऐसी स्थिति लाभ नहीं हो जाती continue meditation, तू जा जहां भी जा सकता है, वहां पर तुझे मेरा राम मिलेगा। जब तक ऐसी स्थिति लाभ नहीं हो जाती भक्तजनों continue meditating vigorously and honestly.

संसार के प्रति उसकी निस्सारता जब तक पक्की नहीं हो जाती, और पूजा परमात्मा से अनुरक्ति जब तक पक्की नहीं हो जाती, please continue meditating. सब कुछ भूल जाओ, ध्यान का नियम निभाना नहीं भूलिएगा ।

This is very very important.

थोड़ा करके बहुत की अपेक्षा ना रखिएगा । कुछ ना करके, सब कुछ की अपेक्षा ना रखिएगा । जैसे इस वक्त यहां बैठे हुए हो, बिल्कुल ऐसे ही साधक जनों अपने-अपने पूजा कक्षों में, अपने-अपने निवास स्थानों पर भी बैठा कीजिएगा ।

जब तक चलते फिरते, कामकाज करते, मन इस प्रकार का नहीं सधता, मन इस प्रकार से अभ्यस्त नहीं हो जाता की परमेश्वर की याद बनी रहे, please continue meditating. यह सब कुछ आपको ध्यान के बाद उपलब्ध होगा परमेश्वर कृपा से । इसलिए ध्यान अति आवश्यक । जारी रखेंगे साधक जनों इसी चर्चा को और आगे ।

मैं भी थोड़े समय के लिए आपके साथ ध्यान में बैठूंगा ।

राममममममम……..

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