आज की कृतज्ञता

आज की कृतज्ञता

March 13, 2020

उसके गुण उपकार का पा सकूँ नहीं पार
रोम रोम कृतज्ञ हो करे सुधन्य पुकार

परमेश्वर व गुरूजनों के श्रीचरणों में बारम्बार नमन कि वे योग्यता नहीं देखते । अयोग्य को भी इतना देते हैं कि उसने सपनों में भी कल्पना नहीं की होती । गुरूजनों का अनन्त धन्यवाद । चिरऋणि ।

कहो उऋण कैसे हो पाऊँ किस मुद्रा में मोल चुकाऊँ
केवल तेरी महिमा गाऊँ और नहीं कुछ मुझको आता

सर्व श्री श्री चरणों में

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