प्रशंसा साधक के लिए घातक 1(b)

परम पूज्यश्री डॉ विश्वामित्र जी महारजश्री के मुखारविंद से

( SRS दिल्ली website pvr08a)

प्रशंसा साधक के लिए घातक 1(b)

6:29- 11:23

एक ऐसी बहुत छोटी चीज़ की बात की चर्चा करी जाएगी । शायद आपने जीवन में बहुत इसका महत्व जाना नहीं । पर हर कोंई इस रोग से ग्रस्त है। छोटा बड़ा बच्चे से लेकर बूढ़े तक, हर व्यक्ति इस रोग से ग्रसित है। आप साधक हैं तो भी ग्रस्त हैं आप सामान्य व्यक्ति हैं तो भी इससे ग्रसत हैं। मानो यह चर्चा है तो विशेषतया साधकों के लिए पर सामान्य व्यक्ति भी इस चर्चा से लाभ ले सकते हैं, क्यों ?

दुखदायी तो यह रोग उनके लिए भी है। यह रोग आपको परमेश्वर के धाम तक तो नहीं पहुँचने देगा । यह मानव जन्म मिला हुआ है । उस को यह रोग पूरा नहीं होने देगा ।

संतों महात्मा ने खोज करके, एक साधक के जीवन को एक किसान के जीवन से तुलना की है। क्या सामने है? कहाँ एक किसान खेती बाड़ी करने वाला और कहीं एक साधक नाम नाम जपने वाला । संयमी जीवन बिताने वाला। अच्छे कर्म करने वाला । अपने ऊपर अंकुश रखने वाला । ऐसे व्यक्ति का साम्य एक किसान से कैसे हो सकता है? तुलना कैसे हो सकती है आइए देखें।

एक खेत का मालिक है किसान ।धरती की छाती को हल्के नुकीले भाग से चीरता है। छलनी छलनी कर देता है धरती माँ की छाती को । कालान्तर में उसमे बीज बोना है खाद डालनी है वर्षा की प्रतीक्षा करनी है। जल से सींचना है, जो बोया है वह उगे। शान्दार बीज । गला सड़ा नहीं ।शानदार बीज । रोगी बीज नहीं। स्वस्थ बीज, अच्छी quality का बीज लाकर बोता है। अपनी तरफ़ से प्रयत्न करता है इसे बढ़िया ले बढ़िया खाद भी दी जाए, जल भी दिया जाए, परमेश्वर की कृपा से उसका भी प्रकाश प्राप्त हो ताकि जो बोया है वह अनन्त गुना हो कि मुझे प्राप्त हो। यह धारणा है न एक किसान की। सकामी है। निष्कामी नहीं है। कुछ करके बहुत पाना चाहता है। इसी को सकामी कहते हैं। परमेश्वर की ऐसी करनी जो बोया है वह उगता है। धान कहिए । धान लगाया है वह उग रहा है। समस्या यहाँ होती है। बेचारा किसान । जो भूमि में बोया है वह तो उगेगा ही । लेकिन उसके साथ साथ वह भी उगता है जो नहीं बोया हुआ । यदि कोई यहाँ किसान बैठे हुए हैं या ऐसे व्यक्ति बैठे हुए हैं जिन्हें ऐसी बात में रुचि हैं वो मेरे साथ सहमत होंगे ।

घर में पौधा एक लगाया हुआ है। आप पानी भी देते हैं, सब कुछ देते हैं उसे , लेकिन आपको लगता है कि पौधा सूख रहा है। कारण देखते हैं, कारण वही है जो उस किसान के साथ हो रहा है। क्यों ? उसके साथ साथ जो नहीं भी बोया हुआ वह भी उग आया है।जिसे unwanted घास कहते हैं।

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