मानव जीवन की महत्ता 2c

परम पूज्यश्री डॉ विश्वामित्र जी महारजश्री के मुखारविंद से

( SRS दिल्ली website pvr09b)

मानव जीवन की महत्ता 2c

8:29- 13:31

ममता क्या है ? मेरे पन से यह मेरा है, यह मेरा पुत्र है, पुत्री है, मेरा मकान है।जिस किसी के साथ मेरापन जुड़ जाता है, ममत्व कहा जाता है, उसे ममता कहा जाता है। बड़ी अजीब चीज़ है यह ममता। महा अज्ञानता का चिह्न है जैसे अहंता वैसे ममता। आप रोज़ शीशा देखते हो। पर उसमें अपना आप होता नहीं है। ठीक इसी प्रकार से इस संसार में मेरा पन जो आप बनाए हुए हो, वह मेरापन है नहीं। यह मेरापन ही है चाहे वह अहंता के कारण है या ममता के कारण है, जिसके कारण हमें पुनर्जन्म मिलता है। यही हमें बार बार संसार में लाता है। अपने पिछले संबंध निपटाने के लिए । पिछले तो निपट रहे हैं, नए तो न जोड़ो।यही संत महात्मा शिक्षकों रहे हैं।

गुरू नानक देव अपने कुंछ शिष्यों के साथ विचर रहे हैं। मंडी के रास्ते से निकल रहे हैं । आप जानते हैं एक बकरा आया है उसने मोठ की ढेरी में मुँह मारा है। उस ढेरी का जो मालिक है उसने बकरे को मारा । मुँह पर मारा पीठ पर मारा । उसदाडी दो होती है उसको पकड़ कर उसका मुँह खोल कर उसके मुँह में जो दाने उसने लिए हुए थे वह निकाले । इस बात को देख कर गुरू नानक देव हँस रहे हैं। संतों का कुछ पता नहीं लगता कि किस बात से हँस पड़ते हैं और किस बात पर रो पड़ते हैं। उस बात को देखकर बाबा नानक हंसने लग गए। शिष्यों ने पूछा क्या बात है बाबा नानक। उस बकरे को मार पड़ रही है और आप हँस रहे हैं।

गुरू नानक देव कहते हैं कि यह बकरा और आदमी बाप बेटा हैं। यह जो आप स्थान देख रहे हो न यह इसी ने बनाया हुआ है। बाबा नानक स्पष्ट करते हैं कि मुझे याद है कि अनेक प्रकार की देवी देवताओं से मन्नत माँग कर इसे माँगा था । यह देखो यह पुत्र क्या हाल कर रहा है अपने बाप का । अभी भी । बकरे को याद नहीं पर पिछले जन्म में भी इसी स्थान पर आकर यहाँ बैठा करता था। अब भी मार पड़ने के बावजूद भी इसी स्थान पर आकर बैठता था। मोह के कारण । वह अभी गया नहीं है। वह बार बार व्यक्ति को वहाँ लाता है।

इसी को देखकर संत महात्मा अनेक बार यह बात स्पष्ट करते हैं, यह छिपकली चूहे इत्यादि कुछ घरों में होते हैं कुछ घरों में नहीं होते हैं, इन सब का संबंध भी अपने अपने पुराने जन्मों का है। वहीं निभा रहे हैं।

Contd.

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