अमेरिका के उद्घाटन दिवस के पावन आगमन पर : जून ६,२०११

परम पूज्य श्री डॉ विश्वामित्र जी महाराजश्री के मुखारविंद से मेरीलैंडन, अमेरिका के उद्घाटन दिवस के पावन आगमन पर : जून ६,२०११

भाग १

आज के इस माँगलिक दिवस पर आप सब को मैं बधाई देता हूँ।बहुत बहुत बधाई, अनेक बार बधाई।

राम नाम जो स्वामी जी महाराज देते हैं, इसे छोटी चीज़ नहीं समझिएगा। स्वामीजी महाराज इस राम नाम को, राम मंत्र को महामंत्र कहते हैं। हमारा मंत्र “राम” है, श्री राम नहीं, सीता राम नहीं, जय राम जय जय राम नहीं , श्री रामाय नम: नहीं, सिर्फ़ ” राम ” । जो परमात्मा का नाम है, वही स्वामीजी महाराज द्वारा दिया मंत्र है । यह मेरे बाबा की कृपा है कि जब राम बोलोगे तो दो काम होंगे- एक परमात्मा का नाम जपा जाएगा, और दूसरा गुरूमंत्र जपा जाएगा।

यह मंत्र महामंत्र क्यों कहा जाता है? समझाते हैं- यह वही मंत्र है जो प्रसाद के रूप में मुझे परमात्मा के दरबार से मिला था। और मुझे कहा गया था कि सत्यानन्द जो तेरी झोली में प्रसाद डाला गया है, उसी को सब में बाँट । स्वामी जी महाराज तब से लेकर आज तक यही काम कर रहे हैं । ऐसा नहीं सोचिएगा कि उनको बढ़िया प्रसाद मिला था और आपको कोई घटिया दे रहे हैं । यह बाबा का स्वभाव नहीं है। जो बाबा को वहाँ से मिला वही हम सब की झोली में डाल दिया। हमें बहुत आसानी से मिल गया इसलिए हम इसकी क़दर नहीं करते हैं। जिसने महिमा जानी वह गली गली गाती फिरती है- पायो जी मैंने राम रत्न धन पायो। स्वामी रामकृष्ण परमहंस का भी मंत्र राम ही था। स्वामी विवेकानन्द का भी मंत्र राम ही था। एक ही मंत्र राम तीनों के अलग अलग इष्ट । एक के मुरली मनोहर, एक की माँ काली और एक के भगवान शिव !

स्वामीजी महाराज एक जगह कहते हैं आँख बंद करो और बिंदी वाली जगह को देखो। क्या देखना है, किसको देखना है? अपने इष्ट को, उसे जो आपका प्यारा है। आपने गुरूमंत्र लिया है न , अब से लेकर जब तक जीवन है तब तक नहीं छोड़ना । स्वामी जी कहते हैं आपको अपना मंत्र बदलने की ज़रूरत नहीं । मंत्र कहता है- I will adjust myself ! करना क्या है ? जपना है बस। प्रेमपूर्वक जपना है, जैसे स्वामीजी महाराज ने कहा है। जो प्रेमपूर्वक राम नाम जपेगा, कोरे काग़ज़ पर लिखवा लो- वह आवागमन के चक्कर से छूट जाएगा। याद उसी की आती है जिससे प्रेम हो! जब हम राम नाम जपते हैं यदि प्रेम परमात्मा से है तो याद परमात्मा की आएगी । पर हमारे साथ ऐसा होता नहीं है। नाम तो ज़रूर हम राम का करते हैं पर याद हम संसार को करते हैं, मानो प्रेम हम संसार से करते हैं। यहीं हम मार खा जाते हैं। इसी लिए जो चीज़ हमें मिलनी चाहिए वह मिलती नहीं है।

आप कहीं भी रहते हैं, भारत में रहते हैं, अमेरिका में रहते हैं, UK में रहते हैं, अध्यात्म में there is NO exception. अपनी सोच को सुधारिएगा। परमात्मा एक है उसके रूप अनेक नाम अनेक हो सकते हैं। युवकों बच्चों जो सबसे बड़ा है वह एक है । पवित्रता अपवित्रता की चिन्ता न करिए । जिसे राम नाम नहीं पवित्र नहीं कर सका वह paste और detergent क्या देंगे । देखो राम नाम का रंग अभी चढ़ा है कि नहीं ! यदि नहीं तो क्या कारण होंगे । समझदार बनो – you are intellectuals, यह बाल ऐसे ही सफ़ेद नहीं किए आपने । राम नाम से फ़ायदा लीजिएगा। पुराना ऋण उतारिएगा नया नहीं चढ़ाना !

गुण जिसके आने से सारे के सारे गुण अपने आप आ जाते हैं वह है – झुकना सीखिएगा । जिसने राम नाम से यह नहीं पाया, समझ लेना उसने राम नाम से कुछ नहीं पाया ।

क्रमश ….

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