मेरीलैंड श्रीरामशरणम् के उद्घाटन पर प्रवचन ..

मेरीलैंड श्रीरामशरणम् ( अमेरिका) के माँगलिक वर्षघांट के उपलक्ष मे..

इस माँगलिक अवसर पर परम पूज्य महाराजश्री के मुखारविंद से जून 6 , २०११ को दिए गए प्रवचन के अंश

आज एक सीधे साधे महात्मा की बात याद आती है। बहुत से सीधे साधे लोग यहाँ बैठे हैं। all are not complicated! ऐसा ही एक महात्मा कनक दास। अनपढ़ भी होगा। कोई बड़े आश्रम नहीं बनाए, कोई बड़े शिष्य नहीं बनाए । आज बड़े आचार्य ने सोचा, यह कनक दास ऐसे ही बोलता फिरता रहता है। इसे आश्रम में बुलाकर इसका मज़ाक़ उड़ाते हैं। young disciples, आए हैं लेने, आइए महाराज । कनक दास को क्या फ़र्क़ पड़ता है। चले गए हैं। सब इकट्ठे हो गए हैं। बुज़ुर्गों ध्यान से सुनो इस बात को। आपके लिए विशेष कह रहा हूँ – बहुत थोड़ी अब रह गई है। अभी भी यह पल्ले बाँध लो, अभी भी जीवन में यह आ जाए, जीवन में कुछ पा लोगे। नहीं तो जैसे आए थे वैसे ही जाओगे या उससे भी बत्तर हो कर जाओगे। क्यों? जो करना चाहिए था वह किया नहीं है।

कनकदास को आज बिठाकर शिष्य क्या कह रहे? कनकदास जी क्या मैं स्वर्ग जाऊँगा ? कनकदास जी मुस्कुरा कर कहते हैं, मैं जाएगा तो तू जाएगा। दूसरे शिष्य ने भी यही पूछा उसको भी यही उत्तर ! अब माधवचार्य जी ने भी यह पूछा – कनकदास जी क्या मैं स्वर्ग जाऊँगा ? कहा महाराज मैं जाएगा तो आप जाओगे ? लाए तो थे अपमान करने पर सब अपमानित महसूस कर रहे हैं। किसी और शिष्य ने पूछ लिया- क्या आप स्वर्ग जाएँगे ! कनकदास जी ने कहा- मैं जाएगा तो मैं जाऊँगा , अन्यथा नहीं । अब सब जाने वे किस मैं की बात कर रहे हैं । जिस नाम ने मान नहीं मारा तो मानो अभी गंदगी बहुत पड़ी है , जातक यह गंदगी साफ़ नहीं होगी तब तक परमेश्वर के दरबार में नहीं जा सकते । परमेश्वर की बात तो बहुत दूर की है , आपको परम शान्ति नहीं मिल सकती । आप चाहते हो यहाँ रहते हुए आपको शान्ति मिले, नहीं मिल सकती। जब तक मैं बना रहेगा, तब तक अभिमान बना रहेगा, तब तक परमानन्द की प्राप्ति नहीं हो सकती।

जिसने झुकना सीख लिया उसे कमज़ोर न मानो, यह तो शूर वीरता का चिह्न है। मानो उसने जीवन की बाज़ी जीत ली । यदि अभिमान पराजय है तो निरभिमान वास्तविक जीत है । ग़रीब हूँ, मुझे अनपढ़ कहते हैं, मुझे आता जाता भी नहीं है, छोटी छोटी बातें आपकी सेवा में ।

जो झुकना सीख गया उसको कोई भी कुछ भी कभी नहीं बिगाड़ सकेगा। जो सीधा खड़ा है, जिसे झुकना नहीं आया वह सदा अशान्त ही रहेगा । ऊपर से हँसता दिखाई देगा लेकिन अंदर से अशान्त ही बना रहेगा । झुकना आ जाए, सब कुछ आ गया। सहनशीलता , सहना व प्रेम करना आ जाएगा । यूँ कहो राम नाम जो कुछ आपको दे सकता है वह राम नाम ने आपको दे दिया – आपको प्रेम करना सिखा दिया । जब प्रेम अंदर ठाठे मारेगा तो आप दूसरों को दिए बिना रह नहीं सकोगे। मानो ज़िन्दगी सफल बन गई ।

अपनों से प्रेम मोह ! प्रेम का स्वभाव दो चार से प्रेम करना नहीं है ! दो चार से प्रेम करना मोह कहा जाता है और मोह बंधन का कारण है । यह ऐसे फैलेगा जैसे epidemic फैलता है। परमेश्वर की इतनी कृपा है कि स्वामीजी महाराज जैसे संत द्वारा महामंत्र मिला है। यदि वह पाकर भी झुकना नहीं आया तो क्या कारण है? झुकना आ गया तो किसी चीज़ की कमि नहीं महसूस होती । बाधाएँ अपने आप खत्म हो जाती हैं । परमात्मा कहते हैं शुक्र है कोई मिला जिसे मैं देना चाहता हूँ, बाकि सब तो माँगे वाले हैं।

सबको बहुत बहुत बधाई देता हूँ । किसी को कुछ बुरा लगा हो क्षमा कीजिएगा । पर जीवन रहते झुकना आ जाए । Don’t wait please. Time waste करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। नियम निभाओगे देवी तो मैं साथ निभाता रहूँगा । जहाँ नहीं , वहाँ से मैं चुप चाप अपने आप को withdraw कर लूँगा । स्वामी जी महाराज फिर यूँ फ़रमाते हैं कि मेरी और आपकी निभ नहीं सकेगी। धन्य हैं वे बाबा! कब से क्या क्या हुआ है उनके साथ , अब तक सहन कर रहे हैं। किसी को सज़ा नहीं दी स्वामीजी महाराज ने ! वे बाबा हैं ! फिर जैसे स्वामीजी महाराज कहते हैं करो और भरो ! जैसी करनी वैसा फल आज नहीं तो निश्चित कल ! Be good and do good ! आप किसी कर्त्वय का पालन नहीं करते स्वामी जी महाराज जी फ़ेल कर देते हैं, कहते हैं, come again ! Re appear ! पास होकर मेरे पास आओ !

साधकजनों परमात्मा को कभी नहीं भूलना ।

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