March 14, 2020
आज की कृतज्ञता
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उसके द्वार कुटीर पर मैं दूँ तन सिर वार
नमस्कार बहु मान से करूँ मैं बारम्बार
गुरूजनों ने हम सब को, जैसे हम हैं वैसे ही अपनाना । अनन्त पापों से भरे हुए होते भी, गुरूजनों ने बिन देखे बिन कुछ जाने परम पावन नाम दान दिया । चिरऋणि! बारम्बार धन्यवाद ।
मेरे गुरूदेव के चरणों में सुमन श्रद्धा के अर्पित हों
सर्व श्री श्री चरणों में