परम पूज्यश्री डॉ विश्वामित्र जी महारजश्री के मुखारविंद से
ध्यान १a (b)
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एक young couple आया । मैं नहीं पहचान सका उन्हें। उनकी बीवी कहती हैं। पति पास ही खड़े हैं चुप । पत्नि कहती हैं मेरी मम्मी की surgery हुई ठीक हो गई । अब वो आगे से ठीक हैं। मैंने अर्ज़ की परमेश्वर कृपा देवी, बहुत अच्छी बात है। आगे से कहती है, पर अभी कमजोरी बहुत है। मैंने कहा देवी, रोग के बाद कमजोरी होती ही है, ठीक हो जाएगी। मैं गर्भवती हूँ । मैंने कहा बहुत बहुत बधाई । ज़ाप पाठ बेटा करते रहना। मेरी बहन की अभी तक engagement नहीं हुई । बेटा, यह सब बातें निश्चित हैं। आप अपना पुरुषार्थ जारी रखो और प्रतीक्षा करो। अंतिम बात थी, मेरे पति की बहन की भी शादी अभी नहीं हुई ।
तब मैंने उस देवी ने कहा यह अपनी समस्याएं लिखवाने का register नहीं है श्रीरामशरणम । यह भक्ति करने का स्थान है। यहाँ आके परमेश्वर को याद करो। और संसार को भुलाओ। स्वामीजी महाराज की ओर से लिखा, स्वामीजी महाराज का फ़रमान है, बिन भक्ति शान्ति नहीं । इसलिए
अनन्य सुभक्ति राम दे
परमेश्वर के दरबार से अनन्य भक्ति माँगा कीजिए।
यह चिट्ठी उनको मिल गई, तो उस देवी ने उत्तर भेजा, बहुत सुंदर लगा, पढ़ी लिखी लगती हैं, शुद्ध हिन्दी, थोड़ी थोड़ी english mix में पत्र लिखा था। लिखा था बात समझ में आ गई ।
ध्यान का फल क्या है देवियों और सज्जनों ? जो वास्तविकता है वह समझ में आ जाए। तो यह ध्यान का फल है। यह ध्यान में ही आएगी । वह महिला भाग्यवान है, उसे पत्र लिखने से ही, पत्र पढ़ने से ही बात समझ में आ गई। बिन भक्ति के शान्ति नहीं है। यह उन्होंने मुझे शब्द लिखे, यह उनका पत्र मुझे आया। पोस्ट । बात समझ में आ गई । बिन भक्ति शान्ति नहीं मिलती । समस्याएं यदि हल भी हो जाएँ तो भी क्या शान्ति मिल जाती है? यह प्रश्न पूछा है। आगे स्वयं ही उतर दिया, न जाने आज तक कितनी ही समस्याएं ज़िंदगी में आई और कितनी ही समस्याएं ज़िंदगी की सुलझ गई लेकिन शान्ति तो अभी तक भी नहीं मिली । मैं आगे से ध्यान रखूँगा । श्रीरामशरणम जाऊँ, स्वयं भी शान्ति प्राप्त करूँ भक्ति करूँ औरों को भी सूचित करूँ कि एक स्थान जहां बैठ के शान्ति मिलती है।
देवियों और सज्जनों ! बहुत सुंदर पत्र उनका लगा, इसलिए आप सबके सेवा में अर्ज़ कर दी। भक्ति से, यदि आप कहो कि श्रीरामशरणम आने से हमारी भौतिक और परमार्थिक समस्याएं सुलझी हैं, तो मैं आपजी को स्पष्ट करता हूँ कि यह भक्ति का प्रताप है। यहाँ आके जो शान्त मना आप थोड़े समय के लिए बैठते हैं, जो आपको ऊर्जा आपके अंदर अर्जित होती है, संचित होती है, उससे भौतिक समस्याएं सब प्रकार की समस्याएं सुलझती जाती हैं। आप परमात्मा के कृपा के पात्र बनते जाते हैं। समस्या न भी सुलझे तो आपको भक्ति बहुत बल देती है, आपको बहुत सहनशील बना देती है। आपको मुख बंद रखने की हिम्मत और अपनी सोच के द्वार बंद करने की हिम्मत देती है। भक्ति ।
रााााााााााााम
इस ध्वनि पर एकाग्र कीजिए अपने मन को। भीतर गूंजती हुई सुनिए एकाग्र कीजिएगा अपने मन को इस ध्वनि पर ।