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Happy New Year- हमारा मार्ग छोड़ने का नहीं अपनाने का है 

Jan 1, 2017


परम पूज्य परम श्रेध्य महर्षि डॉ विश्वामित्रजी महाराजश्री के मुखार विंद से 

आज नूतन वर्ष का शुभारम्भ है। सबको बहुत बहुत बधाई। शुभ व मंगल कामनाएँ । 

जिस मार्ग के हम अनुयायी हैं उसपर छोड़ने पर ज्यादा बल नहीं दिया जाता। मार्ग की विवशता है। प्रेम का मार्ग भक्ति का मार्ग छोड़ने का मार्ग नहीं है। अपनाने का मार्ग है । सबको आलिंगन करने का प्रेम करने का मार्ग है। आदतें छोड़ दी, मैंने यह खाद्य पदार्थ छोड़ दिया। हमारा मार्ग इन चीज़ों का समर्थन नहीं करता है।आदत छोड़ने पर बल नहीं देना , आदत अपनाने पर बल दीजिएगा ।अपनाना सकारात्मक सोच है। Positive है। तभी कहते हैं कि अपनी आसक्तियाँ बदलने पर , छोड़ने पर बल न दीजिएगा, इनकी दिशा बदल डालिएगा। राम से मोह होते ही सारे के सारे मोह नष्ट हो जाते हैं। so says रामकृष्ण परमहंस ।

किसी ने परमहंस जी से कहा- कैसे मारूँ मोह को, काम को? परमहंस जी पूछते हैं – क्यों मारना चाहते हो इन्हें। यह परमात्मा की दी हुई हैं। यह व्यक्तिगत नहीं, यह सार्वभौमिक हैं। मोह कोई आपको नहीं, देश विदेश हर जगह सबको होता है। हमें तो केवल इसका सदुपयोग करना है।
क्यों मारना चाहते हो मोह को? इसकी दिशा बदल दो। इसको परमात्मा के साथ लगा दो। 

कितनी बार हमने सुन्दरकाण्ड के पाठ किए है! मेरी तुच्छ बुद्धि का प्रश्न यह है कि हमने क्या वह जीवन में उतारा है? 
हनुमान जी में भी वही है जो माँ सीता में है – राम नाम! चाहे बाहर कितनी भी विषम परिस्थितियाँ क्यों न हो, उन दोनों ने राम नाम को नहीं छोड़ा । हनुमान जी सागर के किनारे बैठे हैं, सीता माँ की खोज में। मत सोचिए कि उन्हें चिन्ता नहीं है। पर उनका स्वभाव चिन्ता का नहीं है , चिन्तन का है। यह विषमता तो बहुत मामूली सी है! सीता मां के आगे तो विषम परिस्थितियों कि लाइन लगी हुई है। पर उनका सिमरन अखण्ड रहा। उन्होंने अपना सिमरन भंग नहीं होने दिया। 

जो हर वक्त भगवद् सिमरन में खोया रहता है , उसको प्रभु एक दिन वंदनीय बना देते हैं। 
आप सब जानते हैं कि यह आपके आशीर्वाद के बिना नहीं चल सकता। तभी इतनी भारी संख्या में आप मुझे आशीर्वाद देने आए हैं। 
पुन: Happy New Year.