Category Archives: Garden series learning

अद्भुत प्रेम

June 22, 2019

अद्भुत अद्भुत अद्भुत

आज पूज्यश्री महाराजश्री का अंग्रेज़ी का प्रवचन पूर्ण रूप से थथार्थ

रूप में उन्होंने झोली में उपहार दिया !!

शाम को सैर पर निकली तो सकट के दूसरी ओर एक विदेशी बुजुर्ग महिला अपने चार कुत्तों के साथ जा रही थी । जब मैं आमने सामने होती हूँ तो ज़रूर रुक कर उन चारों को खूब पुचकारती हूँ ! पर आज सक के उस पार थी तो हाथ हिला कर आगे बढ़ी पर किते रुक गए । वह महिला उन्हें खींचे पर वे न हिलें ! और सभी मेरी ओर ताकें और बैठ गए !

मैं खिलखिला कर हँसी !! और सड़क पार करके गई ! और सभी मेरे ऊपर !!! इतने प्रेम !! एक एक को बहुत प्यार किया !

तभी ज़रूर की कहीं से आवाज़ हुई और एक कुता डर गया और बैठ गया । उसका सारा शरीर काँप रहा था । महिला ने बताया कि यह कुता सात वर्ष तक केज में रहा और इससे पिल्ले पैदा करवाते और पिल्ले बेचते ! सात वर्ष तक वह कुता न चला न केज ले बाहर आया । जब वह पिल्ले देने के क़ाबिल न रही तो पशु संरक्षण में दे आए !!

क्योंकि वह काँप रही थी तो मैं बैठ गई उसे सहलाने ।

बैठते ही जो सबसे छोटा कुता था और बार बार आ रहा था पर हाथ न लगाने दे रहा था। अब आकर गोदी में कूद गया ! और हृदय से लग गया । इतना ख़ुश कि बयान करना कठिन !!

इतना सुंदर सिखाया कि कई जनों को प्यार देने के लिए बहुत छोटा बनने की आवश्यकता है !! इतना सुंदर सिखाया !!!

मैं उस कुते को सहलाती जा रही थी और अब उसकी कम्पन बंद हो गई थी !! और कहा अब जाओ !!

मुझे जाना पड़ा क्योंकि वे कुते अभी भी हिलने को तैयार न थे !! मैं आगे निकल गई उन महिला का हृदय से धन्यवाद करके कि इतना प्रेम परमेश्वर ने किस ढंग से लुटाया !!

प्रेम का यथार्थ रूप में बीजारोपण

सर्व श्री श्री चरणों में

चिरऋणि !!

फुलवारी भरी तो कोई बूटि नहीं , मन राम नाम से भरा तो कोई विचार नहीं

June 8, 2019

धार्मिकता से अध्यात्म की ओर

जब फुलवारी में जगह खाली होती है तो बूटी आती रहती है जब वहाँ ख़ाली जगह नहीं होती तो बूटी नहीं आ सकती क्योंकि जगह ही नहीं होती !!

इसी तरह हमारा मन यदि ख़ाली है तो इतने व्यर्थ के विचार आते रहते हैं और यदि हम जीवन में भी कुछ नहीं करते तो भी अनेकों विचारों की भीड़ रहती है , चाहे बच्चे हों या बड़े।

सो साधक हैं तो राम नाम से भर दें तो विचार रूपी बूटि नहीं आएगी ! और यदि साधक नहीं है तो अपने आपको व्यर्थ रखें तो भी व्यर्थ बूटि नहीं आएगी !

पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री तो यहाँ तक कहते कि कपड़े को फाड़ कर सिलने लग जाओ यदि इतना समय है तो !

सो हम नाम जाप से स्वयं को भरते रहें ताकि व्यर्थ विचारों की बूटि न आने पाए !!

हर पल हर घड़ी सुमिरन हो तेरा

ऐसा बनाते प्रभु जीवन मेरा !

समर्पण व झुकना

April 15, 2019

आज सैर पर निकली तो अपने ही ख़्यालों में जा रही थी कि मानो किसी ने कहा – Hi ! मैंने गर्जन ऊपर की तो देखा मेरे प्रिय मित्र वृक्ष थे ! मुस्कुराते हुए उनको देखा ! और फिर ग़ौर से देखा ! यूहीं तो बुलाया न था !!

जब देखा तो उस वृक्ष पर अभी पंखुड़ियाँ आ रही थी । वर अभी भी अपनी टहनियाँ ऊपर किए समर्पित भाव में था ! सर्दी मे मेरे मित्र समर्पित समाधि में जाते हैं। खाना पीना बंद टहनियाँ ऊपर आकाश की ओर किए समाधि में तल्लीन !!

साथ ही बग़ल का वृक्ष दिखाया ! उसे देख कर और मुस्कुराहट आ गई !!! उस पर फूल पत्तियाँ आ चुकी थी ! और टहनियाँ झुक गई थी !

मानो समर्पण के पश्चात जो फल मिलता है प्रकृति वहाँ झुक जाती है !! हम भी यही सीखें !! समर्पण की राह पर हैं तो झुकते जाना है! जितना समर्पण उतना झुकना !

सर्व श्री श्री चरणों में

मेरे गुरूतत्व

March 19, 2019

आज एक चिड़िया अपने पड़ोसी की डाल पर बैठी । पड़ोसी की नन्ही बिटिया जन्मी थी । वह देख रही थी कि कैसे वह माँ अपने बच्चे की देखभाल कर रही है ।

चिड़िया बोली – आपको अपनी बच्ची का सब कुछ पता है !

माँ मुस्कुराई । हाँ ! क्या इसकी इच्छा है, क्या इसे नहीं अच्छा लगता । कब क्या चाहिए , कब क्या देना है , सब !

चिड़िया बोली – जब यह नटखट हो जाती है , या कुछ गड़बड़ कर देती है ?

माँ बोली – सब पता चलता है !! किस बात से परेशान है , कब इसे मेरे प्यार की ज़रूरत है , कब यह उदास होती है और जब गलत करती है तो पड़ जाती है !!

चिड़िया बोली – आप इसे कभी छोड़ते नहीं , जब इसके मन में गलत भाव उठते हैं ?

माँ बोली – नहीं !! कभी नहीं !

चिड़िया बोली – आपका हृदय इसके साथ ही लगा रहता है न , कि मेरे बच्चा ठीक है ! और फिर आप ही तो इसे उड़ान भरने में सहायता करते हैं !

हाँ ! डरते हैं बच्चे कि गिर जाएंगे ! पर मैं होती हूँ संग ! सदा ।

चिड़िया की आँखों से अविरल धारा बहती गई । उसने सुकून की लम्बी सांस ली । उसका भी कोई था , जिसको उसके हर सांस की चिन्ता थी । उसका भी कोई था जिसे उसके हर भाव का पता था । उसे पता था कि वे भी कभी उसे अपनी नज़रों से पल भर के लिए भी ओझल न होने देंगे और सदा सम्भाल लेंगे । चिड़ियाँ ने लम्बी सांस भरी और राम राम कह कर उड़ गई !

श्री श्री चरणों में

प्रकृति का अद्भुत प्रकटीकरण

March 11, 2019

प्रकृति जब अनूठे रूप में परमेश्वर की अभिव्यक्ति करती है

हर सुबह भोर पर निकलना । कभी ज्ञानमय सुनहरी तो कभी प्रेममय गुलाबी रंगों से प्रकृति अपने देवाधिदेव को प्रकट करती ।

समय बदला तो आज भोर से भी पहले निकले । और आज जो प्रकृति ने प्रकट किया वह अपने आप में अद्भुत ।

गहरा नीला रंग । हल्का नीला भी । किन्तु विशाल आकाश में वह गहरा नीला स्वयं को सम्पूर्ण रूप से फैलाता हुआ मानो अँगड़ाई लेते हुए परमेश्वर । अजब जा नीला ! जिन्हें देख कर देवाधिदेव शिव महाप्रभु का स्मरण हो आए , नीले राम मानो बिना रूप व आकार के सामने खड़े हों या माँ … कोई भी नाम दे लीजिए !!

बीचों बीच चमकता हुआ श्वेत प्रकाश !!! मानो नीले आकार में तीसरे नेत्र की चमक !!

जैसे भोर आरम्भ हुई तो जिस शीशे से पीछे देखते हैं वहाँ सुनहरे ज्ञान का उदय और आगे गुलाबी प्रेम की अभिव्यक्ति !!!

प्रकृति की इस मनोहर अद्भुत प्रेम का कैसे ऋण चुकाएँ ! जो स्वयं निराकार राम को अद्भुत रूपों में प्रकट करती है और हृदय को अपने से एक कर देती है !!!

आज के प्रेममय दिवस का अद्भुत प्रसाद ।

मेरे सर्वस्व ! प्राण प्यारे ! मेरे रााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽम

प्रकृति में एक्य

Jan 29, 2019

प्रकृति की विभिन्नता में एक्य

कुछ दिनों से फुलवारी की बात चल रही थी तो आज का नजारा देखिए ! श्वेत चादर ने सब को अपने भीतर समेट लिया । सब ढक गया । बूटी, सूखे पत्ते , बिना पत्तों के पौधे, पत्तों समेत पौधे ! सड़क , गाड़ियाँ , घास !! सब कुछ अपने से लिप्त कर दिया । मानो अपनी ही विभिन्नता को एक कर दिया । बर्फ़ का नीचे आना ही मानो सबको एक करना होता हो । हर भेद भाव प्रकृति के हर रंग को केवल एक रंग से ढक दिया । मानो भीतर और बाहर सब एक हो गया हो । प्रकृति की भीतर की पवित्रता पूर्ण रूप से बाहर छलक आई हो !

एक केवल एक !!!

यह दिखाने का मानो संकेत दे रही हो … पहन लो वे चश्मे जहाँ केवल एक ही एक दिखे ! वह परम सत्य दिखे ! वह सत्य जिससे तत्काल शान्ति मिले, सुकून मिले, परमानन्द मिले और जहाँ एक के सिवाय कुछ न रहे ! कोई दूजा नहीं ! केवल एक !

हम सब इस प्राकृतिक एक्य में डुबकी मारें और हर ओर हर चेहरे में केवल एक को ही देखें ! वह परम प्यारा जो सम्पूर्ण है , जिसने हमें भी सम्पूर्ण बनाया है पर हम विभिन्नता में खो गए ! उस एक को भूल गए !

एक केवल एक

राााााााााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽम

प्रकृति और हम

Jan 27, 2019

पौधे वातावरण की वाईब्रेशन बहुत सुंदर ग्रहण करते हैं व अभिव्यक्त भी करते हैं ।

घर पर दो क्यारियाँ हैं। एक क्यारी पूर्ण रूप से हमारे घर के क्षेत्र में पड़ती है और एक साथ वाले घर के साथ साँझी है । दोनों में दो वर्ष हो गए रेंगती बेल लगाई है पर आश्चर्य की बात कि एक में वह हरि भरी है कि कटाई भी करनी पड़ती है। किन्तु दूसरी में हर वर्ष नई लगाती हूँ पर बहुत ही धीमी गति है उसके बढ़ने की !! आप बूझ सकते हैं कि कौन से क्षेत्र में चल रही है और कौन से में नहीं !!!! 😃

इसी बात से पूज्यश्री महाराजश्री की बात स्मरण हो आई । मनाली के प्रवास के दौरान उन्होंने ने भी किसी साधक जी को दिखाया कि कैसे श्रीरामशरणम् के सेब के पेड़ सेब से लदे हुए थे और कैसे बाकि जगह के पेड़ सूने !!!

पूज्य महाराजश्री ने जब मैरीलैंड , अमेरिका, का श्री कर कमलों द्वारा वृक्षारोपन किया तो पौधे लगाने के पश्चात, बच्चों की तरह उन्हें अपने दोनों हाथों में लेकर प्यार से धीमे से कुछ बात चीत की !!! 😇

प्रकृति और हम !! बहुत सुंदर संबंध !!

कुछ नया …

आज बहुत दिनों पश्चात मौसम खुला और अपनी प्यारी फुलवारी पर नज़र गई ।

बहुत प्यारी मित्र है मेरी ! और हमारा एक दूसरे के साथ बहुत बहुत प्यार है ! अभी सब ठण्ड के कारण सूखा है पर घास हरि भरि है और कुछ ज़मीन पर लगी रेंगती बेल भी हरि भरि हैं। कोरिन लाल मिर्च सूख गई है पर पौधे से गिरी नहीं ! बहुत प्यार से अपने प्रियजनो को मैं निहारी रही थी और लिखते हुए भी आनन्द विभोर हो रही हूँ । मैं और वे एक हैं। बहुत कुछ सिखाती हैं मुझे व अथाह प्रेम भी उडेंलती है!

आज मन में आया कि अपनी फुलवारी के लिए घर पर ही खाद तैयार करूँ ! तीन महीने में तैयार हो जाएगी ! सोच कर ही मन इतना प्रफुल्लित हो रहा है ! कुछ नया सोच कर ! कुछ नए करने की उमंग ! ऐसी ही फुलवारी अपने विद्यार्थियों से भी तैयार करवाऊँ, ऐसा मन में आ रहा है! क़ुदरत कैसे स्वयं द्वार प्रशस्त करती है हम नहीं जानते ! कहते हैं कि यदि भीतर जुनून हो तो वह जुनून आपको अपने उद्देश्य तक स्वयं ले जाता है।

अपने विद्यार्थियों के लिए कुछ पर्यावरण के विशेषज्ञों को बुलवाया था । तो चर्चा के पश्चात वे बीज भेंट करके गए !!! सो लगा जैसे कि एक और द्वार खुल रहा है कुछ नया करने हेतु ! विद्यार्थी यदि फुलवारी बनाएँगे तो लगता है उन्हें बहुत आनन्द आएगा और अलग ढंग से सीखेंगे ! प्रकृति के स्पर्श पाकर, प्रकृति बहुत कुछ सिखाएगी !! मन में रोमांच हो रहा है सोच कर ! 😍

मेरे सखा कार्य क्षेत्र में भी मेरे संग रहने की तैयारी रह रहे हैं !!! 😃

नई राहों पर हृदय में अथाह प्रेम लिए प्रकृति के साथ एक होकर सकारात्मकता चले विस्तृत करने !!!!

It’s only You

Nov 3, 2016

What happened – my friend asked?

What are those tears for ?

I hugged my dearest friend and sobbed .

Why do you disappear?

My friend said- No I don’t ! I am outside and inside too! Isn’t it ?

Yes! But outside cannot be with me always… and inside I cannot do without your form!! Even though You are formless … it makes me feel terrible !!!

I sobbed !!!

My friend, the tree became very quiet ! It allowed me to stay with it and pour my heart out ….

please don’t sidetrack me with your illusions… there is nothing I want or wish for except You! Nothing!!

Only You – I sobbed!

All other things are Yours… they are not mine.. not even these letters…this body or anything.. But You are !!!

प्रभु से प्रेम

Oct 17, 2016

आज एक आम के फल से लदा हुआ पेड़ प्रभु के द्वार पर गया।

वहाँ प्रभु द्वारपालों के रूप में आ गए और कहा , कहो भाई ! यहाँ कैसे ?

वृद्ध हो?

हाथ जोड़ वह बोला – जी नहीं !

सैनिक हो ?

वह बोला – जी नहीं !

परिवार से पीड़ित हो ?

वह बोला – जी नहीं !

ग़रीब हो?

वह बोला – जी नहीं !

रोगी हो?

वह बोला – जी नहीं !

दिव्यांग हो ?

वह बोला – जी नहीं !

काम नहीं चल रहा ठीक ?

वह बोला – जी नहीं , सब ठीक है ?

प्रभु बोले – क्यों आए हो यहाँ ?

आम के पेड़ की आँखों से झड़ी बहने लग गई ! कहा , मैं तो केवल प्रभु के लिए यहाँ आया हूँ जी ! मुझमें संसारी कोई अभाव नहीं ! सब है ! पर मैं जी केवल अपने प्यारे के लिए आया हूँ ! मेरे सब हैं ! माँ बाबा, भाई बहन, पत्नि, बच्चे, घर – बार ! सब कुछ है जी !

प्रभु बोले – फिर कैसे आना हुआ ?

आम का पेड़ बोला – क्या करूँ जी ! प्रेम हो गया है प्रभु से ! रहा नहीं जाता उसके बिन ! सब होते हुए भी मन नहीं लगता ! उसका प्यार ले आया यहाँ !! सोचा कि प्रभु के ही आम हैं सो यही चढा दूँगा ! मेरा अपना तो कुछ नहीं ! कि कुछ चढा सकूँ । उसी का ही लेकर, देखिए , उसी को चढा दूँगा !! सोचा उन्हीं की ही चीज है तो ले ही लेंगे !! मेरी होती तो कुछ विचार होता कि पता नहीं अच्छी है कि नहीं ! पर यह तो उन्हीं का है ! ले लेंगे न ?

पता नहीं फिर क्या हुआ होगा….कैसे प्रभु ने प्यार किया होगा! कैसे दुलार किया होगा ? कैसे खुद भी खाया होगा और उसे भी खिलाया होगा …. पता नहीं कैसे आम के पेड के नैना छलक रहे होंगे और साथ ही प्रभु के भी ! पता नहीं कैसे प्रभु ने उसकी आँखें पोंछी होंगी ? पता नहीं ! पता नहीं भोग से पहले गले लगाया होगा या बाद में …. पता नहीं …

आज की सीख 🙏

बिन कारण भी हो जाता है प्यार ! प्यार केवल प्यार के लिए भी हो जाता है ! अभाव बहुत बार ज़रिया बनते हैं विश्वास के ! पर बिन कारण भी हो जाता है प्यार !!

श्री श्री चरणों में 🙏