Category Archives: Parents and children

बच्चों को करके दिखाए कर्तव्य निभाना

Sept 18, 2018

प्रश्न आया कि बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता

जिस तरह जाप में मन नहीं लगता या ध्यान में मन नहीं लगता पर करना होता है ..

इसी तरह बच्चों का जब पढ़ाई में मन नहीं लगता तो पढ़ाना होता है।

जिस तरह जाप में मन न लगने के कारण हमारी अपनी वृत्तियाँ होती हैं, उसी तरह बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने का कारण उनकी अपनी वृत्तियाँ होती हैं।

हम ही बच्चों को खुली छूट टी वी व फ़ोन इत्यादि की दे देते हैं, जिस कारण उनका अपने कर्तव्यों के प्रति रुझान हट जाता है।

यह बताना होता है कि पहले कर्तव्य बाद में स्व entertainment. यह training देनी होती है। स्वयं नहीं आती ।

जब हम भोजन बनाते हैं तो कहिए कि देखो मैं अपने कर्तव्य कर रही हूँ आप अपना कर्त्वय कीजिए । आज भोजन न बनाऊँ तो गड़बड़ हो जाएगी ।टी वी पर ही बैठूँ गड़बड़ हो जाएगी । सो आपको भी ऐसा नहीं करना । चाहे पसंद है या नहीं कर्तव्य तो निभाने हैं।

गुरूजन कहते हैं कि यह हमें ही करके समझाना पड़ेगा । दिखाना पड़ेगा कि कैसे कर्तव्य निभाए जाते हैं। फिर उन्हें साथ लेकर करवाना पड़ेगा ।

सर्व श्री श्री चरणों में

बच्चे व कहना न मानना 

Aug 21, 2017

प्रश्न : आजकल समझ नहीं आता कि बच्चों को प्यार से समझाएं या सख़्ती से । प्यार से करते हैं तो वे फिर से गलती करते हैं और सख़्ती से करते हैं तो ३-४ दिन मुँह फुलाए बैठते हैं। 

परम पूज्यश्री महाराजश्री ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा है कि आज के बच्चे कहना नहीं मानेंगे बल्कि अनुसरण / अनुकरण करेंगे । इसका मतलब कि यदि आप कुछ कर रहे हैं और बच्चे ने भी वही किया और यदि आपने डाँटा तो बच्चा कह सकता है कि आप भी तो करते हैं !!! 
बच्चे भी डाँट के प्रति विभिन्न प्रतिक्रिया करते हैं । कोई नाराज हो जाएंगे और कोई आग बबूला होकर प्रतिक्रिया करेंगे । 
हर बार बच्चे क़सूरवार नहीं होते , माता पिता भी होते हैं। हमारा ढंग , हमारा व्यवहार हमारी अपेक्षाएँ बहुत माएने रखती हैं। 
हमें यह बात सदा स्मरण रखनी है कि बच्चे जान बूझ कर माता पिता को कभी कष्ट नहीं देना चाहते ! वे सदा उनकी नज़रों में अपने लिए गौरव ही देखना चाहते हैं । 
हम आध्यात्मिक हैं सो हम यह समझ सकते हैं कि जिस तरह हम कामनाओं में ग्रस्त होते हैं उसी तरह वे आत्माएं भी । जब टीवी की खेलने की या फ़ोन की आदत हो तो उसमें से जो आनन्द मिल रहा होता है वह छोड़ना उनके बस का नहीं होता ! यह हर बच्चे के लिए अलग अलग होता है क्योंकि उनकी आत्मा के अपने संस्कार आए हुए होते हैं। 
पूज्य स्वामीजी महाराजश्री ने कहा है कि किसी को कोई बात समझानी हो तो प्यार से समझाएं । ऐसे समझाएं कि वह आपसे भाग न जाए । 
सो माता पिता के रूप में हम केवल प्यार से सही गलत क्या है बता सकते हैं , ( जरूरी नहीं कि आपसे पूछा जाए ) पर यह हमरा कर्तव्य है और कर्तव्य शान्त होकर बिना आसक्त हुए निभाना है चाहे बच्चा सुने या न सुने ! गुरूजन तो देख रहे हैं प्रति पल कि हम कर्तव्य हर परिस्थिति में निभा रहे हैं । 

बच्चों का ध्यान रखना है माता पिता को 


आज एक कौए का बच्चा बहुत उदास है । वह अपने इम्तिहान में फ़ेल हो गया । उसकी संगति अच्छी नहीं रही थी । वह गलत कार्य करता तो कोई सही राह भी न बताता! बड़े खांनदान का था ! पर अचानक, व अकारण गुरू कृपा बरसी और गुरू के प्रेम का रसपान हुआ ! पर कुछ समय पश्चात फिर वापिस अपनी राह पर …. 
आज गिलहरि की बच्ची भी उदास है । उसके पिता नहीं रहे । उसकी सोच अपनी माँ की सोच से भिन्न है । वह माँ को समझाने का प्रयत्न करती है पर माँ दुख में ही रह रही है । बच्ची पर क्या बीत रही है पिता के जाने से वह समझ नहीं पा रही … बच्ची पिता के जाने से अनाथ महसूस कर रही है ! बाहर के अलग कटाक्ष व घर पर माँ का रूखापन …… 
परम पूज्यश्री महाराजश्री कहते हैं कि बच्चे पैदा करने से ही हम माता पिता नहीं बनते , हमें उन्हे हर राह पर यह बताना है कि उनके साथ हैं चाहे वे कैसे भी काम क्यों न करें ! हमें विभिन्न परिस्थितियों मे उन्हें त्यागना नहीं है बल्कि एक उम्र के बाद उनके सबसे प्रिय मित्र बनना है ! 
बच्चों को हर राह पर प्यार की आवश्यकता होती है । बहुत बारने बहुत सा बोझ अपने अंदर ले कर घूम रहे होते हैं। 
विवाह नहीं हो रहा – अपनी गलती मानते हैं ! कि मेरे कारण माता पिता दुखी है ! ऐसे संस्कारी बच्चों को समझना साधारण माता पिता के लिए कठिन हो जाता है । बच्चे गलत रापर नहीं चलते व माता पिता को मना करते हैं तो माता पिता बोलते नहीं या अपशब्द कहते हैं ! 
जब तक बच्चे माता पिता की ज़िम्मेदारी हैं हम माता पिता को उन्हें सुनना है । हर समय राय नहीं देनी ! हर समय सिखाना नहीं ! उनकी सुननी भी है ! 
जो बच्चे गुरूजन को अपनी सुनाते हैं गुरूजन सुनते हैं । वे जानते हैं बच्चे कितने कठिन दौर से गुज़र रहे होते हैं । राम नाम के जाप से गुरूजन बच्चों को गले गलाए रखते हैं ! पर यदि हम माता पिता अपना कर्त्वय सही समय पर नहीं निभाते तो कर्मों की गाँठें हमें ही कस देती हैं । 
बच्चे न भी सुनें हमें अपना कर्त्व्य निभाते रहना है । 
परमेश्वर सबका मंगल करें । सद्बुद्धि बक्शें ।

दूसरो के लिए प्रार्थना 

June 3, 2017

दूसरो के लिए प्रार्थना 


आज एक बच्चा रोता हुआ अपनी माँ के पास आया । बोला – मुझे लड़के परेशान करते हैं माँ मज़ाक़ उड़ाते हैं । सब के सामने नीचा दिखाते हैं ! 
इसी तरह एक और बच्चा अपनी माँ के पास एक जैसी शिकायत लेकर गया ! 
पहली मां बहुत ही दम दार थी । स्कूल पहुँच गई । शिकायत की , और लोगों को इकट्ठा किया , नारे लगे , कोर्ट में पहुँचे बच्चा स्कूल से हटा दिया .. पर स्वयं के बच्चे के घाव न भरे । 
दूसरी माँ ने अपने बच्चे से प्रार्थना करने के लिए कहा । कहा बेटा ! जरूर उनके घर में कुछ छींक नहीं तभी वे ऐसा करते हैं !या घर में उनके साथ ऐसा होता है । 

उनके लिए प्रार्थना कर बेटा । रोज कर । बच्चे ने की । फिर अगले दिन परेशान किया । माँ ने कहा नहीं बच्चे फिर से कर ! रोज कृपा मांग ! बच्चे ने कहना माना । 

एक हफ़्ते बाद पता चला बच्चे के माता पिता का तबादला हो गया ! 

बच्चे को न ही प्रार्थना की शक्ति पर विश्वास हुआ बल्कि उसमें आत्मविश्वास भी भरा, सेवा भी आई और जीवन सुखद बन गया ! 

जगतजननी के चरणों में माता पिता की चिन्ता समर्पित 

May 31, 2017


प्रश्न : हम बहनें हैं और एक छोटा भाई । हमारे माता पिता बुज़ुर्ग हो गए हैं और स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता । भाई माता पिता को रखना नहीं चाहता और माता पिता बेटियों के पास आना नहीं चाहते । हम क्या करें ? मुझे उनकी बहुत चिन्ता होती है । 
विश्वास कि कोई है जो हम सब की मां है । विश्वास कि वे पालन हार हम सब का ध्यान रखते हैं व सदा रखेंगे । 

परमेश्वर से प्रार्थना करते रहने से वे स्वयं ही साधन बना देते हैं । जब भी किसी चीज की आवश्यकता पडती है वे देवाधिदेव पहुँच जाते हैं किसी रूप में । 
पर पूज्य महाराजश्री कहते हैं जिन्हें माता पिता की सेवा मिलती है वे अत्यन्त सौभाग्यशाली होते हैं । 
सो परमेश्वर से नित्य प्रार्थना ही केवल समाधान है । न जाने कब किसका मन बदल दें । सो केवल कृपा याचना की प्रार्थना हम करते जाएँ और सबके पालनहार सब विधि स्वयं ही बना देंगे ! कभी लाचार नहीं छोड़ते , चाहे कितनी मर्जी गहन परिस्थिति ही क्यों न हो ।
दे दीजिए स्वयं को व अपने पापा मम्मी को जगदजननी माँ की गोद में । जो उनकी शरण आए उसका उन्हें ख़्याल बहुत अच्छा रखना आता है । जो भी आए तब भी वे रखती हैं !
🙏🙏

Teaching kids to be stress free

May 30, 2017


प्रश्न : मेरा बच्चा पढता तो है पर इम्तिहान के समय बिल्कुल बलैंक हो जाता है । कुछ याद नहीं रहता । मैंने काफ़ी कोशिश की वजह ढूंढने की । कृपया बताएँ कि कैसे उसकी मदद करें । 
सबसे पहले बच्चों को उनके मन पसंद के subjects कृपया लेने दें । इससे पढाई का दाइत्व उन पर होता है । उन्हें स्मरण करवाना कि पढ़ना है , सहारा देना व बाकि ख़र्चा करना हमारा कार्य पर जो वे लेना चाहते हैं उन्हें लेने दें । 
इम्तिहान में खाली हो जाना मानो बच्चे को बहुत stress है । जिस तरह इम्तिहान की तैयारी करनी होती है उसी तरह हमें बच्चों को यह भी सिखाना है कि कैसे फल पर हम केंद्रित न हो। बारवीं कक्षा , दसवीं कक्षा या कोई अन्य entrance exam है तो हमें stress न हो साथ साथ इसकी भी तैयारी करनी है । 
अभी शायद बहुत जगह भारत में छुट्टियाँ हैं और यह सुअवसर भी है बच्चों को यह सिखाने का। जो बच्चे कहना मानते हैं वहाँ इसका जरूर लाभ उठाएं । 
कृपया बच्चों को श्री अमृतवाणी पाठ यज्ञ का हिस्सा बनाएँ । और किसी के लिए श्री अमृतवाणी का सत्संकल्प दिलवाएं । निस्वार्थ सेवा करने से शुभता भीतर आएगी । शुभ कर्म उदय होंगे । साथ ही ध्यान में बैठना ५ मिनट आरम्भ करवाएं । 

कृपया उनसे कहें कि गुरूजन से प्रार्थना करें कि हमें सम्पूर्ण मेहनत करना सिखाएँ पर फल की ओर हमारा मन न जाए । सारा मन मेहनत पर ही केंद्रित रहे । यह प्रार्थना करके नाम जाप की एक माला करें फिर छोड दें और पाँच मिनट लम्बा राााााााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ रााााााओऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽम राााााओऽऽऽऽऽऽऽऽऽम मन ही मन उच्चारण करवाए । 
दिन में दो बार यह प्रक्रिया करें । गुरूजन व परम प्रभु राम अवश्य कृपा करेंगे ! 
इम्तिहान से पहले बच्चे केवल नाम जाप करें । पूज्यश्री महाराजश्री के दिव्य शब्दों में exam से दो घण्टे पूर्व सब पढ़ना बंद करके केवल नाम जप ! 
My child studies but during exam time he becomes completely blank. He remembers nothing. I have tried hard to find a solution. Kindly tell how I can help him. 

First and foremost let the child take those subjects that he/ she is interested in. Then the responsibility lies on them. Our job is to remind them support them provide necessary materials. Rest is their job. So let them take the subjects of their own choice. 
Going blank in exams means the child is in great stress. The way the child prepares for the exam he/she needs to develop the skills too to deal with the result. So when they are preparing for 10th, 12th and entrance exam they need to be taught how to deal with stress too! 
Now a days many places in India have vacations. So this is a great time to teach them this. Those children who listen, do teach them this.

Kindly Ask kids to be a part of Shri Amritvani paath Yagya. And ask them to take a sankalp for somebody. Selfless service gives rise to immense positivity and good karmas arise. And at the same time start making them sit for meditation for 5 min. 

Kindly Ask them to pray to Gurujans that to kindly teach them to stay focused on hard work and not on results. May our mind be completely absorbed in hard work. After this prayer ask them to do one 108 bead maala of RAM Naam jaap and then leave the maala. Then sit for 5 minutes but take long Rsaaaaaaaaaaaaauuuuuum Raaaaaauuuuuum Raaaaaaaaaaaaauuuum in the mind .. not with tongue but mind and be quiet after they no longer feel like doing it. They may get up after a while. 
Make them do this twice a day. Gurujans and Param Guru Raaam will surely bless. 
On exam day they need not study but do only jaap. In Divine words of Pujya Maharajshri ” two hours before exam all study must stop and only Naam Jap

अनन्य भाव 

May 27, 2017

अनन्य भाव 


आज पिताजी अपने बच्चे के साथ बैठ कर भोजन कर रहे थे । वे बोले – बेटा ! सोचो कि घर पर विपत्ति आ गई है और आपके साथ कोई बडा नहीं है बात करने को । 
आप स्कूल जाते हैं और आपको उदास देखकर आपसे मित्र सुझाव देते हैं कि – मेरी मम्मी एक पीर को जानती है, वहाँ तुझे ले चलूँगा वहाँ पूजा करना सब ठीक हो जाता है । 
फिर आपके दूसरे मित्र आते हैं और कहते हैं कि इस मंदिर में चलो ! यहाँ के पुजारी की प्रार्थना बहुत जल्दी सुनी जाती है ! 
तुम क्या करोगे बेटा ? 
बच्चा बोला – नहीं जाऊँगा उनके साथ । 
पिताजी ने कहा – फिर क्या करोगे ? 
बच्चा बोला – अपने महाराज जी से कहूँगा । 
पिताजी ने कहा – हमममम ! हाँ ! यदि लगे कि पूर्ण नहीं हुई तब भी कहीं नहीं जाना ! 
पिताजी बोले अच्छा बताओ यदि कोई कहे – माता रानी का मंत्र करों जल्दी सुनती है या यह मंत्र करो जल्दी मनो कामना पूर्ण होती है ! तब क्या करोगे ? 
बच्चा बोला – नहीं ! राम जपूँगा ! 
पिताजी ने धन्यवाद दिया अपने गुरूतत्व का जो यह शिक्षा उस नन्हें जीव को दिलवा रहे थे !! और साथ ही हमें भी अनन्य भाव सिखा रहे हैं कि चाहे जो कुछ भी हो जाए , हमें एक ही दर पर जाना है केवल एक ! 

सेवा व प्रशंसा 

May 26, 2017


आज एक बच्चे ने पहली बार सत्संग में भजन गाया । भजन के बाद उसने अपने पिता से पूछा – पापा ! मैंने कैसा गाया ? 
पिताजी बोले – बेटा ! किसके लिए भजन गाया ? किसको सुना रहे थे भजन ? 
बेटा चुप । 
पिताजी ने कहा – बच्चे हम गुरूजनों को भजन सुनाते हैं प्रभु राम को भजन सुनाते हैं !!! पापा मम्मी आंटी अंकल या लोगों को नहीं !! 
 अगली बार बेटे की ड्यूटी किताबों में लग गई !! तो सभी ने बहुत तारीफ़ की । बच्चा बड़ा खुश ! 

पिताजी सब देख रहे थे । 

बच्चा घर गया और घर जाते ही टी वी पर लग गया । पिताजी अकेले ही सारे सामान उठा कर लाए !! 
पिताजी जब बैठे और टी वी बंद किया तो बोले – सेवा एक जगह नहीं होती ! सेवा तो हर जगह करनी होती है ! यदि एक जगह करके वाह वाह मिली तो सब जगह करके भी मिल सकती है । 
पर सेवा किसके लिए की बेटा ? वाह वाह के लिए या गुरूजन के लिए जो हर समय देख रहे होते हैं ?? 
बेटे ने आँखें न मिलाईं !! 
गुरूजन कृपा करें कि हम संसार में रह कर , खासकर online सत्संग में , एक सच्चे साधक रहें .. केवल साधना ही हमारा लक्ष्य हो संसार नहीं ! संसार क्या कर रहा है, किसने क्या किया इस पर नज़र न जाए ! केवल एक ! कैसे राममय

बन सकें कैसे गहन साधना हो सके कैसे प्रभु से और प्रीति हो सके ! बस ! 
कृपा कीजिए भगवन ! आपकी कृपा से ही माया का अनावरण होता है ।

बच्चे और प्रार्थना 

May 26, 2017


बच्चों को प्रार्थना का अर्थ समझाते व यह देखते हुए कि उनके बच्चे को प्रार्थना का अर्थ समझ आया है कि नहीं एक पिता ने अपने बच्चे से पूछा – 
यदि आप किसी की शारीरिक रूप से सहायता न कर सको तो और किस ढंग से सहायता कर सकते हो ? 
बच्चा बोला – प्रार्थना ! 
पिता ने कहा अब थोड़ा कठिन प्रश्न !! 

मानो कि किसी ने ( मित्र , प्रियजन, इचत्यादि) आपसे सहायता माँगी है । पर आपके बस में वह नहीं । पर आपने चुपके से गुप्त रूप से उसके लिए प्रार्थना कर दी ! 
अब गुप्त रूप से की तो उस मित्र को तो पता नहीं और वह एक दिन आकर दोषारोपण कर दे या नाराज हो जाए कि तुम तो सहायता नहीं करते, समय पर साथ नहीं देते, तो क्या तुम बता दो गे कि तुमने प्रार्थना की थी ? 
बच्चा बोला – नहीं !! 
पिता ने बच्चे को बहुत शाबाशी दी !!! 
हम भी कभी और किसी भी परिस्थिति में कभी यह बात बाहर न करें कि हमारे द्वारा परमेश्वर ने किसी के लिए प्रार्थना या सेवा करवाई !! चाहे कितना भी बुरा भला कोई कहे ! गुरूजन कहते हैं कि परमेश्वर ने आज तक कभी जताया नहीं कि वह हमारे लिए क्या क्या दिन भर हर पल करते हैं , हमें भी कभी नहीं उगलना !!! 
सब आपका व आपसे प्यारे

क्या हम आज मानव बने ? 

May 26, 2017


एक साधक ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चे के संग यह प्रक्रिया आरम्भ की । 
बच्चे को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा कि उसकी माँ उसे पशु के साथ तुलना कर रही थी । उसको अपमान जनक लगा !! पर माँ ने बोला कि क्या तुम यह तीन चीज़ें करते हो जो तुम्हें मानव बनाए ? बच्चे के पास कुछ कहने को नहीं था । 
अगले दिन माँ ने दिन के अंत में पूछा – अच्छा तो आज मानव बने ? बच्चे ने माथा सिकोड़ा , पर कहा हाँ ! आज मैं इस कार्य के लिए कृतज्ञ था ! माँ ने कहा – बहुत सुंदर पर यह तो १/३ मानव हुआ !!! बाकि तो पशुवत ही रहे !!! 😀

बच्चे ने कहा – मैं अपने लिए यह कार्य भी किया !!! माँ ने कहा निस्वार्थ !!! अपने लिए नहीं !! बच्चा चुप !! 
अगले दिन फिर, पूछ लिया माँ ने कि आज कितना मानव बने ? 

बच्चा अब ग़ुस्सा नहीं था । बोला – इसके लिए कृतज्ञ था ! इसके लिए !! प्रभु का नाम लिया !! 

माँ ने कहा – अरे वाह! २/३ मानव बन गए !!!! बस १/३ पशु बचा है !!! और निस्वार्थ सेवा ? बोला – मुझे नहीं पता चला कि यह क्या होती है ? 

माँ ने कहा किसी के लिए हृदय से प्रार्थना !! या सहायता !! 
अगले दिन माँ ने पूछा – अच्छा आज कितना मानव बने ?  

बच्चा बोला हाँ !!! आज पूर्ण रूप से मानव बना !!! माँ ने पूछा- सब ? और उल्लेख किया !!! 
मां बोली – यह मत सोचना एक दिन ही मानव बनना है ! यह प्रक्रिया रोज चलेगी !! 😀😀