Category Archives: श्री रामशरणम् के अनूठे साधक

आध्यात्म में रूपान्तरण व उत्थान 

May 29, 2017

आध्यात्म में रूपान्तरण व उत्थान 

छोटी छोटी बातें ही दिखाती हैं आध्यात्मिक उन्नति ! पर वे आसानी से नहीं आई होती ! गुरूतत्व की शक्ति लगी होती है उसमें ! बहुत शक्ति ! 
Online सत्संग में गुरूजनों की पिक्चर, श्री अधिष्ठान जी की पिक्चर या कुछ और पर बहुत बार वाद विवाद भी छिड़ जाता … 
ऐसा सत्संगों में भी होता है मत भेद के कारण अपमान के कारण वाद विवाद व मन मुटाव हो जाना 
और इन बातों में हम अपना मूल उद्देश्य खो बैठते … राम में लीन रहना …. क्षमा करना … व सेवा करना ! 
सो ऐसे ही एक साधक ने गुरूजनों की सेवा में पोस्ट रखा , जिसके कारण मतभेद जाग गया ! जब कि साधक बहुत ध्यान से इन बातों की ओर स्वयं भी बहुत सजग हैं पर फिर भी किसी और को वह दृष्टि न भाई ! सो बार बार आते गए पोस्ट हटाइए हटाइए … 
उन साधक ने कहा – कि मेरे कारण या उस पोस्ट के कारण आपको कष्ट हो रहा है सो वह हटाया जा रहा है किन्तु मुझे वह गलत नहीं लगा ! 
साधक को यह कहने में न ही देर लगी न ही हटाने में कुछ देर …. क्योंकि झुकना आ गया ! यह आ गया कि ठीक है आप परेशान न हों , क्योंकि आपकी दृष्टि ऐसी है कोई बात नहीं ! कोई फ़र्क़ नहीं पडता !! 
कितना बडा रूपान्तरण !!! 

हम सब को झुकना सिखाएँ गुरूजन ! हम सब यह भी मानें कि दूसरा भी गुरूजन से प्रेम करता है व उनके नियम निभाता है केवल हम ही नहीं !!! 

प्रभु हम सब की भीतर की बेड़ियाँ खोलिए मेरे प्यारे !

श्रीरामशरणम् के अनूठे साधक

May 26, 2017

श्रीरामशरणम् के अनूठे साधक

एक मुस्कुराता हुआ चेहरा आपसे मिलेगा । मधुर भाषी और तभी खिलखिला कर हंसी ! हाल चाल । कोई कष्ट हो तो दवाई भी मिल जाएगी । कोई और कष्ट हो तो समय देकर बात चीत भी हो जाएगी और कुछ और चाहिए तो गाडी भी भी तैयार । 

पर उस मुस्कुराते हुए चेहरे के पीछे , उस गहन एकांकी में केवल गुरूजन । 

पति ने गिड़गिड़ा कर हाथ माँगा । दे दिया । पर कुछ ही माह के पश्चात पति को किसी और के संग अश्लील वार्तालाप करते पकड़ लिया !! ससुराल माइके से बहुत भिन्न । डॉक्टर होते हुए , रूढी वादी, पुराने ख्यालात व लालची लोगों में किसी तरह सांसें निकाली पर पति की अश्लील हरकत से निकल आई । फिर शुरू हुआ एक पीडा जनक सफ़र । एक अकेली सुंदर स्त्री वह भी डॉक्टर का भारतीय समाज में चलना कितनि कठिन वह केवल शायद वह ही बता सकती है । 
काम पर राजनैतिक सिफ़ारिशी हर समय पीछे पड़े रहते । ईर्ष्या व द्वेष के कारण गुरूजनों के एक एक शिक्षा पर अमल करने वाली पर न जाने कैसे कैसे गलत लांछन । पर गुरूजनों ने हाथ कस कर पकड़ा । शायद पकड़ अब और कस ली ! सेवा तो करती थी पर अब दिव्यता रे स्रोत से जुड़ गई । 
घर पर ८० वर्ष से भी ऊपर बुज़ुर्ग माता पिता । भाई बहन घर पर न होने के बाराबर । उनकी सेवा का कार्य भी इनके नाज़ुक कंधों पर । पर राम नाम के साधक व गुरूजनों के प्रेमियों के पास शायद अनूठी दिव्य शक्ति होती है !!! 
घर के अलग परेशानियों से जूझती , अपने निजी शारीरिक कष्टों से अलग जूझती, कार्य क्षेत्र में नकारात्मक शक्तियों से अलग जूझती वह गुरूजनों की अपनी बेटी । सेवा सदन बनाना चाहती थी । सेवा सदन बना दिया । कितनी चीज़ों का भीतर भय था , राम नाम ने बाल्म दिया । पर समस्याएँ कम नहीं हुई । कितने वर्षों से बरक़रार ! राम गुरूजनों से प्रेम बढता गया !! और मुस्कुराहट जारी है ! 
राम कृपा से ही कोई अपने को संसार में बिल्कुल अकेला पर गुरूजनों के बिल्कुल निकट पाता है । 
परमेश्वर से पर प्रार्थना है कि दया करें । कार्य क्षेत्र मे पूर्ण सम्मान मिले ! मान प्रतिष्ठा प्राप्त हो । अपने सम्मान हेतु व मिथ्या दोषारोपण के कारण हर रोज नई मुहिम न छेड़नी पड़े । दया करें , कृपा करें । अपने श्री चरणों में अखण्ड सुमिरन प्रदान करें ! अपने कार्यों में ही कालान्तर में भी डुबों दें । 
ऐसे अनूठे साधकों के श्री चरणों में वंदना

माँ और बच्चा 

May 12, 2017 


मां और बच्चा 
एक साधक से …. 
इन साधक की माँ पिछले वर्ष पहले बहुत बिमार हो गई । अनन्त पीड़ा । वे पति पत्नी रहते । बच्चे बाहर । पति देखभाल करते । पर पत्नी पीडा में स्वयमेव कहराती , रात रात जागती ! बहुत पीड़ाजनक स्थिती थी । इनका परिवार साधक परिवार । अपने बच्चे से बिलख कर कहती प्रार्थना कर ! बच्चा कहता कि मां सह लो । कुछ न माँगो । माँ कुछ दिनों के बाद फिर पीडा में रात को फ़ोन करती – बेटा तू प्रार्थना नहीं कर रहा कि मै ठीक हो जाऊं । कर प्रार्थना न ! बच्चा फिर कहता मां , आपमें बहुत सहनशक्ति है ! कृपया सह लो ! राम राम बोलो । पर माँगना न कुछ !  
छोटे भाई ने कहा तुम इस स्थिति में क्यों उनको ऐसा कहते हो ! तुम प्रार्थना में नाम लिखवाओ ! पर वे केवल शक्ति ही माँगते ! कितने माह यही कहते निकल गए और उन्हें सहते ! 
एक दिन ऐसा लगा कि उनकी माँ अब शायद न रहेंगी , तो छोटे के कहने पर प्रार्थना दे दी । पर स्वयं प्रभु से ये ही कहा कि पीडा में न कृपया जाएँ शान्ति से जाएँ । 
माँ कुछ देर बाद ठीक होने लग गई । और फिर काफ़ी बेहतर ! 
उनकी माँ एक ऐसी साधक हैं जो इस उम्र में भी सीखना पसंद करती हैं । गुरूजनों की कृपा से वे अपने मन के प्रति अति सजग हो गई हैं । करूणा उन में संतों जैसी और सेवा भाव भी । उस बिमारी के दौरान उन्होंने अपने बच्चे की बात मानी और एक बार भी प्रभु से ठीक होने के लिए कुछ न माँगा । 
कुछ माह ठीक निकले ! अब वे फिर बिमार हो गई । बिस्तर से क्या ग्लास पकड़ते हुए भी थक जाती । पर चेहरा शान्त है और मुस्कुरा कर कहती है कि अब जान गई हूँ कि मुझे प्रभु से कुछ नहीं कहना ! 

और फिर कुछ आध्यात्मिक सीखने हेतु प्रश्न पूछ देतीं ! 
यह साधक अपने माता पिता के लिए कभी कुछ नहीं कर पाए । पर अपनी मां से यह सुनकर कि अब ” मैं जान गई हूँ कि मुझे ठीक होने के लिए कुछ नहीं माँगना ” मानो गुरूजनों ने उन में शक्ति भर कर जो कहलवाया वह पूर्ण रूप से रंग लाया ! 
गुरूजनों के उपदेश अपने स्वार्थ हेतु तोड़ने मरोड़ने नहीं चाहिए ! गुरूजन की अपार कृपा है कि वे बहुत रूप लेकर हमें सजग करते रहते हैं । उनका काहा मानना न मानना हमारे हाथ में है । पर वे सदा सत्य ही सिखाते रहेंगे ! हर परिस्थिति में ! 

यह अन्तर है वृक्ष और सन्त में ! केवल यह ! संत वृक्ष की भाँति बिना भेद भाव के बिना प्रश्न किए देते रहते हैं पर वृक्ष से भिन्न वे हर पल अपनों का मार्ग दर्शन करते थकते नहीं ! 
 सब आपका प्रभु सब आपसे

श्री रामशरणम् के अनूठे साधक 

May 10, 2017


श्री रामशरणम् के अनूठे साधक 
कुछ दश्क पीछे चलते हैं । एक बहुत ही सामान्य वर्ग के अध्यापक। बच्चों में अत्याधिक लोक प्रिय। जब भी देखो पूर्ण रूप से मुस्कुराता चेहरा । एक सैकन्ड भी मुस्कुराहट बंद नहीं होती ! पर उस मुस्कुराहट के पीछे अनन्त दुख व कष्ट ।पिताजी का सिर पर साया नहीं । भाई इतना कमाता नहीं और भाभी का झगड़ा । पर इन का सौम्य स्वभाव । स्कूल से मामूली वेतन मिलता और घर पर टयूशन करती ! छोटी होते हुए भी अपने भाई का विवाह इन्होंने करवाया ! 
जीवन ऐसा चल रहा था तो इनकी मुलाक़ात एक सह अध्यापक से हुई ! वह अपने गुरूजनों का राम नाम की खूब बातें करतीं । छुट्टी लेकर हरिद्वार सत्संग पर गई तो वापिस आकर इन्हें बताएँ सब कुछ । अब यह सोचें कि यह कौन से मज़े की बात कर रही हैं ? क्या है यह मज़ा ? 
कृपा स्वरूप दीक्षा ली और हरिद्वार सत्संग में नाम आया । पहले दिन नील धारा गए तो गंगा जी में परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री विराजमान खुली आँखों से देखे । डर गए कि यह क्या ! भगदड़ मच गई कि स्वामीजी के दर्शन हो रहे हैं ! तीनों दिन दर्शन होते रहे सब साधकों को !! तीसरे दिन धुँधले हुए ! 
वापिस आए हँसते हुए व नैनों में अश्रु लिए और बोले – अब पता लगा कि किस मज़े की बात कर रहे हैं ! 
विवाह नहीं हो रहा था । उम्र बढ़ चुकी थी ! पूज्यश्री महाराजश्री को इनकी सखी ने पत्र लिखा तो महाराजश्री ने कहा कि ये तो कोई तपस्विनी हैं ! 
विवाह हुआ और अथाह दुखों का पहाड़ टूट पड़ा ! बहुत ही पीडा जनक व्यवहार और पति पूर्ण रूप से खोटा । बिटिया का जन्म हुआ ! वेदनाएँ कम न हुई ! बिटिया की सुरक्षा के लिए अलग हो गई !  
कितने वर्ष बीत गए पता चला कि पति को गहन बिमारी हो गई है और उसके घर वालों ने साथ छोड़ दिया ! हस्पताल के चक्कर लगाए दवा दारू करवाई और जाने दिया । 
महाराजश्री के आशीर्वाद से छोटी आयु में प्रीनसीपल लग गए ।महाराजश्री बोले – अपनी माँ और अपनी बिटिया की सेवा में जीवन बिताइए । आमदनी अच्छी हो गई बिटिया को पर शहर में डाला । रोज सात घण्टे जाना और सात घण्टे आने का सफ़र करती ! तब ४ वर्ष की बिटिया ने कहा – मैं नानी के साथ रह लूँगी । आप ऐसे सफ़र न करें ! अपना घर भी हो गया था शहर में । 
बच्ची को जब पूज्य गुरूदेव के दर्शन करवाने गए ३-४ वर्ष की आयु में तो बच्ची महाराजश्री की टांगों से लिपट गई ! उसके लिए वे पापा थे ! पूज्य गुरूदेव ने भी बच्ची को अलग करने का कोई प्रयत्न न किया ! प्यार बरसाते रहे !
स्कूल के बाद जितना समय मिलता जाप मे निकलता । अनन्त जाप ! साधना में में ५ दिन निकलते और बच्ची को मिलने छुट्टी में फिर जाते ! 
आज मात्र ४५ वर्ष पर जब डॉक्टर ने blood cancer बताया तो बोले कि ” महाराजश्री ने अपने लिए माँगने के लिए मना किया है सो मांग नहीं सकती ” तब बच्ची ने उनकी कितने वर्ष पुरानी सखी को मैसेज भेजा कि कृपया प्रार्थना करें ।   
गुरूदेव ही स्मरण कर रहे होंगे जो उनके बारे में इतना विस्तार से लिखवाया 
सब आपसे प्रभु सब आपका 🙏