Category Archives: प्रार्थना और उसका प्रभाव

पूर्णाहुति 🙏

Sept 1, 2017 

सकाम प्रार्थना के अंतर्गत परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कह रहे हैं कि यदि किसी के सुख व स्वास्थ्य के लिए हम संकल्प लेके हैं और यदि वह व्यक्ति भी तो बहुत अच्छा रहता है । 
मंत्र जाप औषधि का कार्य करता है और मानसिक व कायिक दोषों को दूर करने में सहायक होता है । यह साधन हर प्रकार के दोष से निवारण करता है , प्राण तत्व , भोगतत्व इत्यादि। 
परम पूज्यश्री महाराजश्री कहते हैं कि सभी धर्मों का आधार भक्ति है । प्रार्थना आध्यात्म का मूल है । और श्रेष्ठ जीवन व सदाचार इसे एक सुदृढ़ सत्कर्म बना देते हैं । 
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सर्व श्री श्री चरणों में 🙏

सकाम प्रार्थना 

Aug 31, 2017
सकाम प्रार्थना 


अपने व अपने बंधुओं के सुख स्वास्थ्य के लिए की गई प्रार्थना सकाम प्रार्थना है । जैसे कि किसी प्रयोजन से सवा करोड संकल्प लेना । तो इस दौरान पूज्यश्पी महाराज कहते हैं कि विश्वास से जप करना , संकल्प के दौरान संयम रखना व सत्य का पालन करना आवश्यक है । 
जप बहुत ही भाव चाव से करना चाहिए । पूज्य महाराज जी कहते हैं कि यदि किसी रोगी को औषधि दी जा रही है और साथ ही प्रार्थना रूपी जप उसके लिए किया जाए तो वह भी बहुत लाभ दायक होता है । 
दूसरे के लिए कार्य दत्त चित होकर करना चाहिए । वहाँ राग द्वेष व हानि की भावना नहीं आने देना उचित है । यह विश्वास बहुत दृढ़ निश्चय के साथ रखने को कहा है कि प्रार्थना से दूसरे कोअवश्य लाभ होगा ।

नाम जाप सर्वोच्य प्रार्थना 

Aug 29, 2017

परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कह रहे हैं कि प्रार्थना का सबसे उच्च रूप नाम जाप है । आप नाम जाप कर रहे हैं , मानो आप निष्काम प्रार्थना स्वयमेव ही कर रहे हैं । 

नाम जाप का मतलब , परमेश्वर का प्रेम पूर्वक आह्वाहन करना । जब प्रेम बीच में हो तो परमात्मदेव का सानिध्य अपने आप प्राप्त हो जाता है । 

गुरूजन कहते हैं कि जब प्रार्थनाशील व्यक्ति अपने आराध्य देव को नाम मे विराजित जान कर पुकार करता है तो उसे लीनता आसानी से व जल्दी प्राप्त हो जाती है ! 
सो जो साधक नियमित रूप से प्रेमपूर्वक नाम जाप करते हैं तो उनका जाप ही उनकी प्रार्थना बन जाता है और जार ही ध्यान व मौन में प्रवेश करवा देता है । इसी तरह ध्यान व मौन अपने आप में प्रार्थना ही हैं । 

अखण्ड जाप 

Aug 28, 2017

परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराज़श्री समझा रहे हैं कि लोक हित की प्रार्थना में अखण्ड जाप का बहुत उत्तम स्थान है । 

यहाँ अनेकों व्यक्ति एक स्थान में एकत्रित होकर कहते घण्टे, पहर व दिनों तक अनवरत जाप करते हैं । 

पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि जो व्यक्ति अखण्ड जाप में भाग ले वह पूर्ण रूप से विश्वासी हो, अपने ईष्ठ देव के वहाँ होने की अभिव्यक्ति समझे तथा बड़े भाव चाव से संयम व सत्य का पालन करे । 

यदि ऐसे जाप में कोई निरपेक्ष सत्य निष्ठ तथा परम शुचिता वाला व्यक्ति भाग ले तो वहां का संकल्प प्रवाह बहुत प्रबल हुआ करता है । तथा जाप का संकल्प फ़लित होने की संभावना बहुत बढ़ जाया करती है । 
स्वामीजी महाराज ने निष्काम अखण्ड जाप में निम्नलिखित पद निर्धारित किया है – 
वृद्धि आस्तिक भाव की, शुभ मंगल संचार 

अभ्युदय सद्धर्म का, राम नाम विस्तार 

पर सुधार प्रार्थना के नियम 

Aug 27, 2017

परम पूज्यश्री स्वामीजी पर सुधार हेतु समझा रहे हैं कि कभी भी किसी गलत वजह के लिए अन्य के लिए प्रार्थना नहीं करनी । कभी किसी को हानि पहुँचे या किसी का नुक़सान हो । या दो पक्षों में से एक विजयी हो या किसी झूठे जन को सच्चा बनाने के लिए प्रार्थना इत्यादि करनी वर्जित है । 

कई बार हमारे पास प्रार्थना दो पक्षों से भी आती हैं । हम नहीं जान सकते कि कौन सच्चा है या कौन गलत । हम को नौकर ठहरे किसी को न नहीं कह सकते। इसलिए परमेश्वर से यही विनती गुरूजनों ने सिखाई है कि भगवन यदि आपको ठीक लगे तो कृपया कृपा कर दीजिए ! यदि आपकी इच्छा हो तो शान्ति दे दीजिए ताकि साधना कर सकें , इत्यादि। 

प्रार्थना करने वाले को अपनी प्रार्थना पर ढींग मारनी या उसका वर्णन करना भी वर्जित है । यदि हमें ध्यान इत्यादि में कुछ आदेश किसी के लिए मिलता भी है तो भी हमें प्रार्थना करनी ही चाहिए ! पर हम गलती तर बैठते हैं और चौधरी बन कर चले जाते हैं । नौकर बनना चाहिए । नौकर जैसी वृत्ति परमेश्वर दे तो सदा हैसियत में रहते हैं । रहना तो मालिक रो समक्ष है ! 
प्रार्थना को आजीविका का साधन बनाना भी गुरूजनों ने निषेध किया है । प्रार्थना के कार्य अति शुद्ध सरल व बाल भाव से ही करने का आदेश है। 

पर सुधार हेतु प्रार्थना 

Aug 26, 2017

परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री समझा रहे हैं कि यदि प्रार्थना़ील व्यक्ति निष्काम भाव से किसी अन्य के सुधरने के लिए भी प्रार्थना कर सकता है । वह किसी दूर नगर व देश में भी हो सकता है । यदि उस व्यक्ति को पता हो तो भी ठीक है, नहीं पता हो तब भी ठीक है , सुधार तब भी संभव है । 
हमारे गुरूजन साधकों के लिए ऐसे ही रात रात भर जग कर प्रार्थनाएँ करते हैं। जिन साधकों में सुधार आए हैं वे इन्हें प्रार्थनाओं के ही कारण सम्भव होते हैं । 

गुरूजन तो उनके लिए भी प्रार्थना करते जो उनके निन्दक रहते हैं । 

ऐसे प्रार्थना़ील सत्य निष्ठ निरपेक्ष साधक भी अपने निंदकों के लिए क्षमा याचना करते हैं व सुधरने के लिए प्रार्थनारत रहते हैं। चाहे देश में भी कोई अति निन्दनीय व्यक्ति या राजनेता ही क्यों न हो , प्रार्थनाओं के बल पर वह शक्तिहीन व सकारात्मक कार्यों में अवरोधक बनने से दूर हो जाता है ! 
सो प्रार्थना स्वयं अनुभव करने की चीज है ! यदि उन भावों से व उस मन से की जाए जैसा गुरूजनों ने उल्लेख किया है तो वह राम का कार्य बन जाती है । 

सम्पुट 

Aug 25, 2017

परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कह रहे हैं कि निज मनोरथ के लिए, पर सुधार के लिए, देश व विश्व शान्ति के लिए या किसी भी मनोरथ के लिए, सम्पुट देकर भी जप आरम्भ करते हैं । 
साधारण जप में हम 

वृद्धि आस्तिक भाव की ….. 

का सम्पुट पढते हैं कि हम भगवन निष्काम भाव से जप कर रहे हैं और इस जप से आस्तिक भाव की वृद्धि हो और शुभता का संचार । 
इसी तरह किसी पर संकट आया हो तो …

राम नाम मुद मंगलकारी विघ्न हरे सब संकट हारी 
यह सम्पुट देकर भी जाप करते हैं । 
जाप सदा प्रेम व भाव चाव से ही करने को कहा है गुरूजनों ने चाहे हम कैसा भी सकारात्मक मनोरथ क्यों न लेकर करें । 
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प्रार्थना में मनोरथ

Aug 24, 2017

परम पूज्यश्री स्वामीजी महाराजश्री कह रहे हैं कि यदि प्रार्थना शील मनुष्य के मन में कोई मनोरथ है अपने लिए या किसी अन्य के लिए तो वह उस मनोरथ से संबंधित पदों को पढ़ कर नाम जाप कर सकता है । 
जैसे ही हम यदि परमेश्वर से स्वयं में विश्वास या शुचिता चाहते हैं तो हम 

यह दोहा पढ़ सकते हैं – 
सर्वशक्तिमय रामजी अखिल विश्व के नाथ 

शुचिता सत्य सुविश्वास दे, सिर पर धर कर हाथ ।।
इस दोहे को पढने के बाद पूज्य पाद गुरूदेव कहते हैं कि एक से दो लाख का जाप करके , जाप की समाप्ति पर पद फिर से पढ़कर जाप समाप्त कर सकते हैं । 
इसी तरह स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति या अन्य की उन्नति व कष्ट के लिए यदि मन में मनोरथ है तो कोई पद पढ कर प्रार्थना कर सकते हैं । 

सिद्धि का उपयोग सकारात्मक कार्यों के लिए 

Aug 23, 2017 

परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कहते हैं कि यदि प्रार्थनाशील व्यक्ति शांत है, राग द्वेष से रहित है , मोह माया से शून्य है व परमेश्वर को हर पल अंग संग मानता हो तो वह कहीं भी बैठा क्यों न हो , यदि वह किसी उच्च भाव को लेकर प्रार्थना करे तो उसे अवश्य सफलता प्राप्त होती है ! 
साधकों के जीवन में रूपान्तरण आना, संसारिक व्याधियों का दूर होना, संकटों से रक्षा होना, नकारात्मक शक्तियों का विध्वंस होना , नकारात्मक विचारों का सुप्त हो जाना , हजारों में भक्ति भाव उमड़ना, देश प्रगतिशील होना, देश में सकारात्मकता की विजय होना, यह ऐसी प्रार्थनाओं का ही फल होता है ! 

जिन साधकों को ऐसी सिद्धि प्राप्त होती है उन्हें गुप्त रूप से ऐसे सकारात्मक कार्यों में स्वयं को व्यस्त रखना  ही गुरूजनों व राम के कार्य में संलग्न होना कहा जाता है । 

सिद्धी का धनी 

Aug 22, 2017

परम पूज्यश्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कहते हैं कि जिस प्रार्थनाशील ने परम विश्वास, निरपेक्ष सत्य व परम शुचिता साध ली लो , उसे साधन की सिद्धि साध लेना कहते हैं। 
वह निष्काम प्रार्थना के लिए योग्यता प्राप्त कर लेता है । उसके संकल्प दूर तक संचार विचार करते रहते हैं । यदि ऐसी सिद्धि का धनी यदि अकेला या अन्य स्वजनों के साथ प्रार्थना करे तो परिणाम बहुत अच्छे निकलने की सम्भावना होती है । 
गुरूजन कहते हैं कि ऐसे सज्जनों को अपने आप को गुप्त रखना चाहिए व प्रार्थनाओं को भी गुप्त रखना चाहिए । प्रार्थना हमारे और परम प्यारे की आपस की बात है वहाँ तीसरा नहीं आना चाहिए । 
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