Jan 18, 2016
ओ मेरे प्रभु मेरे राम जी
आप मंत्र भी है ईष्ट भी हैं
आप नाम भी है नाम भी हैं
भगवन इतने अद्वितीय गुण हैं
इतने शक्तिशाली करूणास्प्रद गुणों
की खान हैं आप
पर प्रभु अभी तक
केवल आपश्री का
मनन ही चल रहा है
मेरे भगवन आपके नाम
मात्र से गुरूजनों के रोमांच
हो आता है
मेरे प्यारे क्या मेरा जीवन
पोथियाँ पढ पढ कर ही बीत
जाएगा क्या
प्रभु मेरे प्यारे क्या केवल
आपके प्यारों के
रोमांच की छींटों का ही
इंतज़ार करती रहूँगी ?
हे मेरे भगवन
आप भीतर विराजमान है
क्या वे किवाड़ सदा बंद ही
रहेंगे प्रभु ?
क्या स्वामीजी महाराज
ने जो परमानन्द का वर्णन
अपने ग्रंथों में किया है
क्या भगवन बस वही ललचाई
व भूखी नज़रों से मनन करती जाऊँगी ?
हे दयालु भगवन
मैं जानती हूँ यह पुकार भी
गुरूजनों की ही है
मैं तो अच्छे से पुकार भी नहीं सकती
प्यारे आप ही कुछ करिए न
मैं तो हर हाल में असमर्थ हूँ
पर आप तो ब्रह्माण्ड के स्वामी
हर चीज आपसे ही सम्भव है
आपके लिए अपने द्वार
मेरे लिए खोलने कोई बड़ी
बात नहीं
हे मेरी मइया मेरे राममममममम
मेरी गंदगी पर न जाइएगा
विनती है माँ
मुझे भी तो अपना रस चखाइए न
मां
तो क्या हुआ अयोग्य हूँ मइया
पर भूख तो तेरी इस बच्ची को भी लगी है न माँ
कहाँ जाए बोलो न
कौन है इसका तेरे सिवाय माँ ?
आप तो दौड़ी चली आती हो सबसे पहले
पुकारना भी नहीं पड़ता
पर मेरी प्यास माँ मेरी भूख माँ
सच्ची नहीं होगी !!!
इसमें बनावट होगी
यह अश्रु भी मेरे नहीं
गुरूजनों के हैं …
राममममममममममममममम maaaaaaaaaaaa
अब तुम ही भेद जानो क्या मेरा क्या तुम्हारा
मेरे तो आप हो
पर मेरे भीतर की ग्रंथियाँ सब बंद हैं प्रभु
आप देवाधिदेव का हृदय
तो बहुत कोमल होता है
पर जिसकी प्यास मुझे है
उसके लिए आप इतनी शीघ्र
सुना है द्रवित नहीं होते
पर भगवान
आपकी यह नालायक
तो सर्व असमर्थ है
यहाँ तो आपही को कुछ करना पड़ेगा
वह जीवन ही क्या भगवन
जहाँ आपके प्रेम का
अविरल रस न बहे
वह जीवन ही क्या
जहाँ आपके नाम की प्यारी गूँज
अविरल सोते जगते न बहे
आपका नाम ही केवल एक
सहारा है बस!
और मेरा कोई नहीं प्यारे
न ही कुछ अपना
केवल आपका नाम
जो ह्रदय से लगाए फिरती हूँ
सब आपकी कृपा से ही सम्भव है प्रभु
केवल आपही की कृपा से
यह भी आप ही का है प्यारे
यह भी गुरूजनों की अकारण
छींटों का ही फल है
सब आपसे ही है ।
आपके इंतज़ार में
सदा सदा आपकी केवल आपकी